कलंक-चतुर्थी (चन्द्रदर्शन निषेध) 18 या 19 सितम्बर 2023
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चन्द्रदर्शन होने पर मिथ्याकलंक लगता है। इसका अभिप्राय यह है कि यदि चतुर्थी तिथि में चन्द्र-उदय होकर पंचमी तिथि तक वर्तमान हो (अर्थात् चन्द्र-अस्त पंचमी तिथि में हो), तो सिद्धिविनायक व्रत के दिन चन्द्रदर्शन करना या होना दोषकारक नहीं होता तथा यदि पहिले दिन सायंकाल से चतुर्थी तिथि की व्याप्ति हो जाए अर्थात् तृतीया में चन्द्रोदय होकर चतुर्थी तिथि व्याप्ति तक चन्द्रदर्शन हो (चन्द्र अस्त चतुर्थी में हो), तो चन्द्रदर्शन का दोष पहिले दिन होगा, चाहे उस दिन सिद्धिविनायक व्रत न भी हो। निष्कर्ष यह है कि चतुर्थी में ही चन्द्रदर्शन का दोष है। सिद्धिविनायक व्रत का इससे सम्बन्ध नहीं है जोकि मध्याह्न-व्यापिनी ग्राह्य होता है।
चतुर्थ्यामुदितस्य पंचम्यां दर्शनं विनायकव्रत दिनेपि न दोषाय पूर्वदिने सायाह्नमारभ्य प्रवृत्तायां चतुर्थ्यां विनायकव्रताभावेपि पूर्वेद्युरेव चंद्रदर्शने दोष इति सिध्यति।
.........इदानीं लोकास्त्वेकतरपक्षाश्रयेण विनायक व्रतदिने एवं चंद्रं न पश्चयन्ति न तदयकाले दर्शनकाले वा चतुर्थीसत्त्वासत्त्वे नियमेनाश्रयन्ति ।।
परन्तु इस उपरोक्त नियम की उपेक्षा करते हुए लोकमतानुसार महाराष्ट्र, गुजरातादि में लोग सिद्धिविनायक व्रत वाले दिन ही चन्द्रदर्शन का निषेध मानते हैं। चाहे उस दिन सायंकाल पंचमी तिथि व्याप्ति में ही चन्द्रास्त हो अर्थात् पंचमी तिथि तक चन्द्रदर्शन हो रहे हों। वे उदयकाल या दर्शनकाल में चतुर्थी होने या न होने पर चन्द्रदर्शन के नियम को नहीं मानते। जबकि पंजाब, हिमाचल, जम्मू, हरियाणादि उत्तरी भारत में चतुर्थी तिथि व्यापिनी में ही चन्द्रदर्शन का दोष मानते हैं।
इस वर्ष (वि. संवत् 2080) सिद्धिविनायक व्रत मध्याह्रव्यापिनी चतुर्थी 19 सितम्बर, मंगलवार को है। परन्तु चतुर्थी तिथि 18 सितम्बर, सोमवार को दोपहर 12घं.-40 मिं. से प्रारम्भ हो रही है तथा इसदिन चतुर्थी के समय ही रात्रि 20घं.-13मिं. पर चन्द्रास्त होगा। जबकि 19 सितम्बर को चतुर्थी तिथि दोपहर 13 घं. - 44 मिं. तक ही है तथा इस दिन चन्द्रास्त 20 घं.-45मिं. पर होगा। जब पंचमी तिथि व्याप्त होगी।
अतः उपरोक्त शास्त्रानिर्देशानुसार 18 सितम्बर 2023 को उत्तरी भारत में लोग, सोमवार को ही चन्द्रदर्शन का निषेध मानेंगे। परन्तु महाराष्ट्र आदि कुछ राज्यों में 19 सितम्बर 2023 मंगलवार को चन्द्रदर्शन-निषेध का विचार करेंगे तथा कलंक-चतुर्थी, पत्थर-चौथ आदि इसीदिन मनायी जाएगी।
आचार्य दिनेश पाण्डेय (मुम्बई & उत्तराखण्ड)
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