आषाढ़ गुप्त नवरात्रि जाने शुभ तिथि और घट स्थापना मुहूर्त
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि मां आदिशक्ति का पर्व माना जाता है, नवरात्रि साल भर में 4 बार मनाई जाती है। चैत्र व आश्विन नवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। जबकि माघ व आषाढ़ में गुप्त नवरात्रि के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। आषाढ़ गुप्त नवरात्रि इस साल 6 जुलाई 2024, शनिवार से शुरू होंगे और इनका समापन 15 जुलाई 2024, सोमवार को होगा।
आषाढ़ घट स्थापन 6 जुलाई 2024
घट स्थापन मुहूर्त - 05:17 AM से 09:56 AM
अवधि - 04 घंटे 39 मिनट
घट स्थापन अभिजित मुहूर्त - 11:48 AM से 12:44 PM
अवधि - 00 घंटे 56 मिनट
गुप्त नवरात्रि पूजा अनुष्ठान
सनातन धर्म में नवरात्रि के त्यौहार का बहुत ही विशेष महत्व है। इस दौरान देवी दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है।आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में पूजा अर्चना करने से मनोवांछित फल की अति शीघ्र प्राप्ति होती है। गुप्त नवरात्रि का कार्यक्रम इस प्रकार है:-
6 जुलाई 2024, प्रतिपदा तिथि – घटस्थापना और शैलपूर्ति पूजा
7 जुलाई 2024, द्वितीया तिथि – ब्रह्मचारिणी पूजा
8 जुलाई 2024, तृतीया तिथि – चंद्रघंटा पूजा
9 जुलाई 2024, चतुर्थी तिथि – कुष्मांडा पूजा
10 जुलाई 2024, पंचमी तिथि – स्कंदमाता पूजा
11 जुलाई 2024, षष्ठी तिथि – कात्यायनी पूजा
12 जुलाई 2024, सप्तमी तिथि – कालरात्रि पूजा
13 जुलाई 2024, अष्टमी तिथि – महागौरी पूजा
14 जुलाई 2024, नवमी तिथि – सिद्धिदात्री पूजा
15 जुलाई 2024, दसवें दिन को विजयादशमी पूजा के रूप में मनाया जाता है और इसके साथ ही नवरात्रि उत्सव का समापन हो जाता है।
10 महाविद्या की पूजा
आषाढ़ और माघ माह की गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की पूजा अर्चना की जाती है। इन 10 महाविद्याओं में मां काली, मां तारा देवी, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला देवी की पूजा अर्चना की जाती है।
माता रानी घोड़े पर सवार होकर आएंगी
आपको बता दें कि इस बार आषाढ़ नवरात्रि शनिवार से शुरू होने जा रही है। शास्त्रों में माना जा रहा है कि शनिवार से नवरात्रि प्रारम्भ होने से माता रानी घोड़े पर सवार होकर आएंगी। घोड़े को युद्ध का प्रतीक माना जाता है। देवी दुर्गा का घोड़े पर सवार होकर आना शासन और सत्ता के लिए अशुभ माना जाता है। इससे सरकार को विरोध का सामना करना पड़ सकता है और कुछ राज्यों में सत्ता परिवर्तन की संभावना रहती है।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के पीछे का इतिहास
प्राचीन वैदिक युग के दौरान, इस गुप्त नवरात्रि के बारे में केवल कुछ सिद्ध साधकों या ऋषियों को ही पता था। गुप्त नवरात्रि तांत्रिकों और साधकों के लिए विशेष महत्व रखती है।
ऐसा माना जाता है कि इस अवधि के दौरान देवी दुर्गा की साधना करने से सभी भौतिकवादी समस्याओं का अंत हो जाता है। इसलिए गुप्त नवरात्रि ज्यादातर तांत्रिक पूजा के लिए लोकप्रिय है। इस अवधि के दौरान, साधक ज्ञान, धन और सफलता के लिए देवी दुर्गा का आह्वान करते हैं।
आचार्य दिनेश पाण्डेय शास्त्री (मुम्बई & उत्तराखण्ड)
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