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दीपावली महालक्ष्मी पूजा, प्रदोष काल पूजा मुहूर्त

दिवाली लक्ष्मी पूजा, प्रदोष काल पूजा मुहूर्त 2024

दिवाली या दीपावली हिंदू धर्म का सबसे प्रमुख त्योहार में से एक है। इस दिन लोग अपने घर को दियों व लाइट से सजाते हैं और भगवान श्रीगणेश व माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा अर्चना करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसारकार्तिक माह की कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि को दिवाली का त्योहार मनाया जाता है।


दीपावली 2024 कब है

इस साल अमावस्या 31 अक्टूबर और 1 नवम्बर दोनों दिन है। दोनो ही दिन अमावस्या तिथि प्रदोष काल के समय अधिकांश राज्यों में व्याप्त है ऐसे में कुछ राज्यों में 31 अक्टूबर और अधिकांश राज्यों में 1 नवम्बर को प्रदोष काल में दीपावली का त्योहार मनाया जाएगा। इसलिए 31 अक्टूबर और 1 नवम्बर दोनों ही दिन दिवाली का त्योहार सर्वमान्य है। 

सभी सम्मानित विद्वानों, ज्योतिषाचार्यो ने एक मत होकर 1 नवंबर को दीपावली मनाने का निर्णय लिया है

देश भर के 250 पंचांगों में से 195 पंचांगों का बहुमत 1 नवंबर को ही दीपावली मनाने के पक्ष में है

1 नवंबर को दीवाली का पर्व मनाए जाने को लेकर बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने आदेश भी जारी किया है, जिसमें लिखा है कि धर्माधिकारी श्री बद्रीनाथ मंदिर के अनुसार 1 नवंबर 2024 को उत्तराखंड में दीवाली मनाया जाना तय किया है

इसलिए संपूर्ण उत्तराखंड में हर्षोल्लास के साथ 1 नवंबर को ही दीपावली मनाई जाएगी 

ज्योतिषीय गणना के अनुसारइस साल भी हमने अधिकांश शहरों के लिए दिवाली लक्ष्मी पूजन मुहूर्त उपलब्ध कराए हैं।

दीवाली लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल और वृषभ काल मुहूर्त 2024

1 नवम्बर 2024, उत्तराखंड
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - 05:25 PM से 06:16 PM
अवधि - 00 घण्टे 52 मिनट्स
प्रदोष काल - 05:25 PM से 08:01 PM
वृषभ काल - 06:08 PM से 08:03 PM

1 नवम्बर 2024, नई दिल्ली
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - 05:36 PM से 06:16 PM
अवधि - 00 घण्टे 41 मिनट्स
प्रदोष काल - 05:36 PM से 08:11 PM
वृषभ काल - 06:20 PM से 08:15 PM

1 नवम्बर 2024 नोएडा
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - 05:35 PM से 06:16 PM
अवधि - 00 घण्टे 41 मिनट्स
प्रदोष काल - 05:35 PM से 08:11 PM
वृषभ काल - 06:19 PM से 08:15 PM


मुंबई में स्थिति स्पष्ट नहीं है कुछ लोग 31 अक्टूबर को और कुछ लोग 1 नवंबर को दीपावली मुंबई में मनाएंगे, फिलहाल हमने 31 अक्टूबर का मुहूर्त दिया है
31 अक्टूबर 2024 मुंबई
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- 06:57 PM से 08:36 PM
अवधि - 01 घण्टा 39 मिनट्स
प्रदोष काल - 06:05 PM से 08:36 PM
वृषभ काल - 06:57 PM से 08:56 PM

दीपावली महालक्ष्मी पूजन निर्णय, शंका समाधान

प्रदोषव्यापिनी (सूर्यास्त के बाद त्रिमुहूर्त्त) कार्तिक अमावस्या के दिन ही दीपावली (महालक्ष्मी पूजन) मनाने की शास्त्राज्ञा है। इसवर्ष (वि. संवत् २०८१ में) 31 अक्तूबर, 2024 ई. के दिन कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि का समाप्तिकाल 15-53मिं. है। अतः चतुर्दशी समाप्ति के साथ ही कार्तिक अमावस्या शुरु होकर अगले दिन (1) नवम्बर, शुक्रवार) सायं 18 घं-17 मिं. तक व्याप्त है। स्पष्ट है-अगले दिन (1) नवम्बर) प्रदोषकाल में अमावस तिथि की व्याप्ति कम समय के लिए है। (क्योंकि पंजाब, हिमाचल, जम्मू आदि राज्यों में सूर्यास्त लगभग 17-35 मि. पर होगा।), जबकि 31 अक्तूबर, 2024 ई. को अमावस्या पूर्णतया प्रदोष एवं निशीथकाल को व्याप्त कर रही है। परन्तु फिर भी शास्त्रनिर्देशानुसार 'दीपावली पर्व' (महालक्ष्मी पूजन) 1 नवम्बर, शुक्रवार, 2024 ई. को ही मनाना शास्त्रसम्मत होगा।


यथा शास्त्र वाक्य-

'अथाश्विनामावस्यायां प्रातरभ्यंगः प्रदोषे दीपदानलक्ष्मी पूजनादि विहितम् । तत्र सूर्योदयं व्याप्ति-अस्तोत्तरं घटिकाधिकरात्रिव्यापिनी दशैं सति न संदेहः ।।' (धर्मसिन्धु) 

(अर्थात् कार्तिक अमावस्या को प्रदोष के समय लक्ष्मीपूजनादि कहा गया है। उसमें यदि सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के अनन्तर 1 घड़ी (24 मिनट) से अधिक रात्रि तक (प्रदोषकाल) अमावस्या हो, तो कुछ सन्देह की बात नहीं है।)


परदिने एव दिनद्वयेपि वा प्रदोषव्याप्तौ परा। 

पूर्वत्रैव प्रदोषव्याप्तौ लक्ष्मीपूजनादौ पूर्वा ।। (धर्मसिन्धुः) 

(अर्थात् परले दिन ही अथवा दोनों दिन प्रदोषव्यापिनी होय तो परलीलेनी होगी।) तिथिनिर्णय (भट्टोजिदीक्षितकृत) पुरुषार्थ चिन्तामणि में तो यहाँ तक लिखा है कि यदि दोनों दिन अमावस प्रदोष का स्पर्श न करे तो दूसरे दिन ही लक्ष्मी पूजन करना चाहिए। 


'इयं प्रदोषव्यापिनी ग्राह्या। दिनद्वये सत्त्वासत्त्वे परा।।' (तिथिनिर्णयः) 

पूर्वत्रैव व्याप्तिरिति पक्षे परत्र यामत्रयाधिकव्यापिदर्श दर्शापेक्षया प्रतिपवृद्धिसत्त्वे लक्ष्मीपूजादिकमपि परत्रैवेत्युक्तम् ।। एतन्मते उभयत्र प्रदोषाव्याप्ति-पक्षेपि परत्र दर्शस्य सार्धयामत्रयाधिक-व्याप्ति-त्वात्परैव युक्तेति भाति ।। (पुरुषार्थ-चिन्तामणि)


अर्थात् यदि अमावस्या केवल पहिले दिन ही प्रदोषव्याप्त हो, तथा यदि अगले दिन अमावस्या तीन प्रहर से अधिक व्याप्त हो तथा दूसरे दिन भी प्रतिपदा वृद्धिगामिनी होकर तीन प्रहर के उपरान्त समाप्त हो रही हो, तो लक्ष्मीपूजन अगले दिन (अमावस) ही करें। इसी प्रकार यदि दोनों दिन अमावस्या प्रदोषव्याप्त होने से अगले दिन लक्ष्मीपूजन युक्तियुक्त होगा।

उभयदिने प्रदोषव्याप्तौ परा ग्राह्या। 'दण्डैकरजनीयोगे दर्शः स्यात्तु परेऽहनि । तदा विहाय पूर्वेद्यु परेऽह्नि सुखरात्रिकाः।' (तिथितत्त्व)


अर्थात् यदि दोनों दिन प्रदोषव्यापिनी होय, तो अगले दिन करें-क्योंकि तिथितत्त्व में ज्योतिष का वाक्य है-एक घड़ी रात्रि (प्रदोष) का योग होय तो अमावस्या दूसरे दिन होती है, तब प्रथम दिन छोड़कर अगले दिन सुखरात्रि होती है।)


यद्यपि-दीपावली के दिन निशीथकाल में लक्ष्मी का आगमन शास्त्रों में अवश्य वर्णित है, लेकिन कर्मकाल (लक्ष्मी पूजन, दीपदान-आदि का काल) तो प्रदोष ही माना जाता है। लक्ष्मीपूजन, दीपदान के लिए प्रदोषकाल ही शास्त्र प्रतिपादित है-


प्रदोषसमये लक्ष्मीं पूजयित्वा ततः क्रमात्।

दीपवृक्षाश्च दातव्याः शक्त्या देवगृहेषु च ।।


निर्णयसिन्धु, धर्मसिन्धु, पुरुषार्थ-चिन्तामणि, तिथि-निर्णय आदि ग्रन्थों में दिए गए शास्त्रवचनों के अनुसार दोनों दिन प्रदोषकाल में अमावस्या की व्याप्ति कम या अधिक होने पर दूसरे दिन ही अर्थात् सूर्योदय से सूर्यास्त (प्रदोषव्यापिनी) वाली अमावस्या के दिन लक्ष्मीपूजन करना शास्त्र सम्मत होगा।


अतएव सभी शास्त्र-वचनों पर विचार कर हमारे मतानुसार 1 नवम्बर, 2024 ई., शुक्रवार को ही दीपावली पर्व तथा लक्ष्मीपूजन करना शास्त्रसम्मत हैसम्पूर्ण भारत में यह पर्व इसी दिन होगा। यही निर्णय भारत के अधिकतर पंचाङ्गकारों को मान्य है। परम्परा अनुसार तथा गत अनेक उदाहरण भी इसी मत को मान्यता देते हैं।

 आचार्य दिनेश पाण्डेय शास्त्री (मुम्बई & उत्तराखण्ड)


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