वंशावली-पाण्डेय खोला, गहणा सल्ट, अल्मोड़ा, उत्तराखण्ड
ब्राह्मणों में अनेक जाति व उपजातियां आती है हमारे कुमाऊं में अनेक ब्राह्मण जातियों को मान्यत है जो सूर्य वचन्द्र (चंद) राजाओं के शासन काल से चले आ रहे हैं, यहाँ मुख्य रूप से प्रतिष्ठित ब्राह्मण जातियों को प्रस्तुत किया है जो निम्न स्थानों से संबंधित है असली ब्राह्मण हैं।
१:- पाण्डे :- सिमल्टिया, बाडखोडा, देवलिया, मनोलिया, पल्लू,पाटिया वर्ग के
२:- जोशी :- चीनाखान, दनियां गल्ली, मिजाड, लटौला, मकिडी, मसमौला, पोखडी, सिमवाला के
३:- पंत :- शाग्म, श्रीनाथ, नाथू, भाऊदास, तथा पाराशर गोत्र के
४:- तिवाडी :- श्री चंद्र तिवाडी के सब असली बंशज
५:- भट्ट :- विषाड के
६:- विष्ट :- गंगोली के
७:- उप्रेती :- अल्मोड़ा के
८:- अवस्थी :- अस्कोट के
९:- वैद्य या मिश्र :- दिवदिया के
१०:- कर्नाटक :- करडियां खोला के
११:- कांडपाल, लोहनी, उपाध्याय - आदि इनके अतिरिक्त नैनवाल, शर्मा, मैनाली, करगेती आदि - आदि अनेक जाति व उपजातियां भी है जो समाज में प्रतिष्ठित रूप से जानी जाती है ।
--: पाण्डे :--
पाण्डे का आगमन कुमाऊं में चंद या कत्यूरी राजाओं के राज से माना जाता है, कश्यप गोत्री पाण्डे पहले से ही यहां रहा करते थे, जो यहां राजाओं के राजगुरु थे, और पहाड़ों की कंदराओं या पर्वतों पर झोपड़ियां बनाकर अपने यम नियमों का पालन करते हुए, पांडित्य का कार्य क्या करते थे।
श्री चतुर्भुज पांडे जी सारस्वत ब्राह्मण खरोटा के रहने वाले कुंवर सोम चंद के साथ काली कुमाऊं में आए, जब कुंवर सोम चंद ने काली कुमाऊं का राज्य पाया, तो सोम चंद ने इनको मंडलियां का पद दिया। इनकी संतानें मानली, वगैरा आदि गांवो में रहती है मंडलियां का अर्थ है कि राजा सोम चंद उन दिनों काली कुमाऊं के छोटे राजा थे, डोटी के महाराज के दावेदार मंडलेश्वर राजा कहलाते थे। इसलिए राजा सोम चंद ने अपने राज्य के दो हिस्से किए—
१ :- मल्ला मंडल
२ :- तल्ला मंडल
इन मंडलों के कर्मचारी को (जो उस समय कारदार कहे जाते थे) मंडलियां कहा जाता था। पंडित श्री चतुर्भुज पांडे जी को मल्ला मंडल का कार्य भार सौंपा गया। और तल्ला मंडल का कार्य भार श्री मूलदेव पांडे जी को सौंपा गया। ये भी कुंवर सोम चंद के साथ ही आए थे। सन १५६५ ईस्वी के लगभग कुमाऊं का राज दरबार अल्मोड़ा में आया। मणकोटि राजा का गंगावली राज्य चंद राज्य में शामिल हुआ।
कुमाऊं में विशेषकर छ: प्रकार के पांडे कहे गए हैं जो समाज में मान सम्मान के साथ जाने जाते हैं।
१:- कश्यप गोत्री, २:- काश्यप गोत्री, ३:- भारद्वाज गोत्री, ४:-गोतम गोत्री, ५:- वत्सभार्गव गोत्री, ६:- वशिष्ट गोत्री
१:- कश्यप गोत्री (सीमाल्टीय पाण्डेय):- ज्योतिषाचार्य पंडित मनोरथ शास्त्री जी ने लिखा है,कश्यप गोत्री श्री हरिहर पांडे जी राजा सोम चंद के साथ आए थे, परंतु रूद्रदत्त पंत जी का कहना है कि पंडित श्रीधर पांडे जी कन्नौज से आए थे, और डोटी की तराई में कुंवर वीर चंद को मिले। जब वीर चंद यहां के राजा हुए तो उन्होंने पाण्डेय जी को अपना गुरु बनाया और रसिपौला गांव जांगीर में दिया। जिसका नाम बाद में सीमाल्टीय हुआ कुछ समय बाद चंद राजाओं ने एक सीमाल्टीया पाण्डेय को (रसोइयो के दगाबाजी (धोखाबाजी) करने पर) अपना विश्वासपात्र समझकर अपना रसोईया बनाया और सब लोगों से कहा कि उनके हाथ का भोजन कब करेंगे। अठकिन्सन साहब कहते हैं ,कि सीमाल्टीया या सिमाल्टीया की व्युत्पत्ति श्रेष्ठ मंडल से है।
श्रेष्ठ मंडल पाण्डेय से ये लोग सीमाल्टीया या सिमाल्टीया पाण्डेय कहलाए, सीमाल्टीया पाण्डेय वास्तव में सबसे पुराने प्रतिष्ठित वंश के हैं, सबसे पहले राजगुरु ये ही ज्ञात होते हैं। राजगुरु होने के कारण ये श्रेष्ठ मंडलीया के पाण्डेय कहलाते थे, कुमाऊं में ये अभी भी विशेष आदर की दृष्टि से देखे जाते हैं। अब ये ढोलीगांव, सिमल्टा, सालम, चेफानौला, पचार, दामी, विजौली, मनिली,गहणा, पाण्डेखोला (नौगांव) आदि स्थानों में रहते हैं। यह राजगुरु होने व राजा के विश्वसनीय तथा श्रेष्ठ मंडलिया होने के कारण ही पाण्डे से पाण्डेय कहलाए।
२:- काश्यप गोत्री पांडे :- ये बडखोड़ा के पांडे भी कहलाते हैं, श्री महती पांडे जी कान्यकुंज ब्राह्मण कन्नौज से कुमांचल में आए थे, इनके सिंह और नृसिंह दो पुत्र थे, ये बटोखडी में रहने लगे, यह स्थान काठगोदाम के पास है, इनमें से नृसिंह की संताने वैरती, भाटकोट, गिवाग,खरगोली पीपलटांडा, नाहन, नैपाल आदि स्थानों में रहती हैं।
३:- भारद्वाज गोत्री पांडे :- पंडित श्री बल्लभ पांडे उपाध्याय कान्यकुंज ब्राह्मण कन्नौज के खोर ग्राम से चंद राजाओं के समय में आए थे, क्योंकि पंडित श्री बल्लभ पांडे संस्कृत के धुरंधर विद्वान थे इसलिए ये उपाध्याय कह लाए थे अठकिंसन-गजेटियर में लिखा है, कि कालीमाटी पर्वत में राजा का शस्त्रागार या सेलाखान था पांडे जी ने रात को वहां पहुंचने पर लकड़ी मांगी पर मंत्रियों ने मजाक में लोहे के डंडे दे दिए, पांडे जी तंत्र शास्त्री थे उन्होंने लोहे के डंडो से ही हवन कर दिया, तभी से वहां की मिट्टी काली होनी कही गई है।
जिस शाखा ने लोहे का हवन किया था, वे लौहहोत्री अर्थात लोहनी कहलाई, और जो वेद के कांनों या विचारों में निपुण थे कांडपाल या कन्याल कहलाए। अब यह जातियां पाटिया, कसून,पिलिख, बरेली, अनूपशहर, मेरठ, पतेलखेत, भैसाठी, ओकाली, वल्दगह, भगौती आदि स्थानों में रहती है। लोहनी और कांडपाल लोहना, कांडे, कोटा, कुमालटा, लक्षमपुर, थापला, कांटली भेटा,पनेलगांव, भाइकोट, खाड़ी, वटगल, कारुडा, कोटालगांव, ताकुला, मनार, अल्मोड़ा आदि स्थानों में हैं।
४:- गौतम गोत्री पांडे:- पंडित राम दत्त ज्योतिर्विद जी लिखते हैं कि गौतम गोत्र पांडे के मूल पुरुष पंडित वालराज पांडे थे। जो ज्वालामुखी कोट कांगड़ा से आए थे, पंडित रुद्रदत्त पंत जी लिखते हैं श्री जयतीदेव पाण्डे कुंवर बीर चंद के पास कोटि के तराई में आए, वहां इनको धौलागांव जागीर में मिला| इन की संतान देवलिया पांडे कहलाए| ये धौलिया, पांडेघोल, छाना,पल्लूं, संगरौली, विलकोट, पांडेगांव, छचार, वासभिडा, मिजार, पाटिया, बाड़ी व दोनाई आदी ग्रामों में रहते हैं।
५:- वत्स भार्गव गोत्री पांडे :- इस गोत्र के मूल पुरुष जो कुमाऊं में आए, वे ब्रह्म पांडे थे, वे कागंडे से आए थे, और राजा संसार चंद यहां वैद्य हुए| इनके चार पुत्र हुए, १-बद्रीदत्त पांडे २–कालधर पांडे ३- दशरथ पांडे, ४- देवकीनंदन पांडे| ये पारकोट, सीरा, अनूपशहर, तथा मझेडा में क्रमशः इनकी संतानें रहती है।
६:- वशिष्ठ गोत्री पांडे :- इस गोत्र के मूल पुरुष चंद राजाओं के शासनकाल में कुमाऊं में आए,बताए जाते हैं जो अब अल्मोड़ा, नैनीताल के क्षेत्र व ताड़ीखेत के पास सिमोली आदि स्थानों पर रहते हैं।
(सीमाल्टीय पाण्डेय)
इस प्रकार कुमाऊं के इतिहास में पांडे के वंशजों का वर्णन आया है, जो उस समय चंद राजाओं या कत्यूरी के समय में आए बताए गए हैं, पृष्ठ संख्या ४६२ पर कुमाऊं के इतिहास में कश्यप गोत्री सीमाल्टीय पाण्डेय का वर्णन मिलता है। कुछ लोगों का मत है, कि ये चंद या कत्यूरी राजाओं के साथ आए थे, परंतु अध्ययन करने पर यही निष्कर्ष निकलता है कि ये सबसे पुराने हैं, जो पहले से ही आकर यहां रहते थे। जिससे कुमाऊं में इनका आदर होता आ रहा है तभी तो राजाओं ने इनको अपना गुरु बनाया। वीर चंद के राजा होने पर पंडित श्रीधर पाण्डेय जी ही राजगुरु थे, सोम चंद के राज्य के समय कश्यप गोत्री पंडित श्री हरिहर पाण्डेय जी राजा सोमचंद के गुरु रहे।
इसी गुरु व राजगुरुओं के वंश परंपरा में आगे चलकर सीमाल्टीय गांव में पंडित श्री तारा दत्त पाण्डेय जी राजा के गुरु रहे। इसी समया अवधि के बीच राजा के मित्र जो सनमानूरा (सल्ट) में रहते थे। अपने मित्र के बुलावा आने पर राजा अपने गुरु सहित सनमानूरा (सल्ट) में आए, राजगुरु की नियमिता, वाक्यपटुता तथा मंत्र व तंत्रों में प्रवीण विद्यता को देखकर मित्र बड़े प्रसन्न हुए, और राजा से गुरुजी को कुछ समय तक रहने को कहा, अपने मित्र के आग्रह पर राजा ने अपने गुरु से कुछ समय रहने के लिए विनती की, राजा तो चले गए परंतु पंडित श्री तारा दत्त पाण्डेय जी यही रहे। समय बीतता गया उनकी विद्यता श्री पाण्डेय जी का यश फैलता रहा।
इसी समय के बीच श्री पाण्डेय जी को भारद्वाज गोत्री पंडित श्री लक्ष्मीदत्त नैलवाल जी व काश्यप गोत्री राजपूत डंगवाल जी ने अपना पुरोहित बनाया, नैलवाल जी ग्राम गहणा व डंगवाल जी ग्राम मल्हारी (सल्ट) में रहते थे। पंडित श्री लक्ष्मीदत्त नैलवाल जी ने अपने पुरोहित स्वीकृति में पंडित श्री तारादत्त पाण्डेय जी को अपनी आधी जमीन दक्षिणा स्वरूप दान की और रहने को मकान की व्यवस्था की, तभी से पाण्डेय जी यहां रहने लगे। ग्राम गहणा (सल्ट) में पाण्डेय जी अपनी पत्नी के साथ सुख पूर्वक समय व्यतीत करते हुए एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। जिनका नाम कमलापति रखा गया, कुछ समय बाद किसी विशेष कारण वश राजा ने अपने गुरु पंडित श्री तारादत्त पाण्डेय जी को वापस बुलाया, तब से पाण्डेय जी अपने मूल निवास सिमाल्टीया गांव में जाकर रहने लगे, और अपना दूसरा विवाह किया। और यहां उनका बेटा अपनी मां के साथ रहने लगा, और पठन-पाठन करते हुए वेद, शास्त्र कर्मकांड का गहन अध्ययन किया। व ज्योतिष शास्त्र में भी एक प्रतिष्ठित ज्योतिषी के रूप में जाने गए।
पंडित श्री कमलापति पाण्डेय जी के दो पुत्र हुए (१) पंडित श्री गजाधर पाण्डेय जी (२) पंडित श्री पूर्णानंद पाण्डेय जी,
१:- पंडित श्री गजाधर पाण्डेय जी के तीन पुत्र हुए-- गंगादत्त पाण्डेय, श्री हरिकिशन पाण्डेय, श्री टीकाराम पाण्डेय।
श्री गंगादत्त पाण्डेय जी इनके दो पुत्र हुए-- श्री भवानी दत्त पाण्डेय व किसनान्द पाण्डेय।
श्री भवानी दत्त पाण्डेय जी के पुत्र देवीदत्त पाण्डेय हुए और इनके तीन पुत्र हुए- श्री कबीर दत्त पाण्डेय, श्री दुर्गा दत्त पाण्डेय, श्री रामदेव पाण्डेय। इन में दुर्गा दत्त पाण्डेय जी रामनगर में,रामदत्त पाण्डेय जी दिल्ली में रहने लगे हैं।
श्री किसनानन्द पाण्डेय जी के बेटे श्री हरि दत्त पाण्डेय हुए, जो गहणा से चमोई में आकर रहने लगे। चमोई ग्राम इनोली के मध्य पड़ता है। जो गहणा से लगभग ४ किलोमीटर की दूरी पर राम गंगा के तट पर स्थित है।
श्री हरि दत्त पाण्डेय जी के पुत्र खिमानंद पाण्डेय हुए उनके चार पुत्र हुए- श्री जगन्नाथ पाण्डेय, श्री शंभूदत्त पाण्डेय, श्री हंसा दत्त पाण्डेय, श्री पूरन चंद्र पाण्डेय। श्री हरिकिशन पाण्डेय जी की कोई संतान नहीं हुई। श्री टीकाराम पाण्डेय जी के दो पुत्र हुए- श्री जयदेव पाण्डेय, श्री पवदेव पाण्डेय। ये अब पाने कोटा में रहते हैं।
२ :- पंडित श्री पूर्णानंद पाण्डेय जी के भी तीन पुत्र हुए:- श्री पदार्थ पाण्डेय, श्री रमापति पाण्डेय,श्री रधापती पाण्डेय। इनमें श्री रमापति पाण्डेय व रधापती पाण्डेय जुड़वा भाई थे। श्री प्रदार्थ पाण्डेय जी के श्री बची राम पाण्डेय हुए और उनके पुत्र श्री जय शंकर पाण्डेय हुए, इनके तीन बेटे हुए, श्री ज्वाला दत्त पाण्डेय, श्री केशव दत्त पाण्डेय, श्री लीलाधर पाण्डेय।
श्री ज्वाला दत्त पाण्डेय जी के बेटे लक्ष्मी दत्त पाण्डेय हुए जो अभी रहणा में ही रहते हैं। श्री केशव दत्त पाण्डेय जी रोहतक (हरियाणा) में रहते हैं। श्री लीलाधर पाण्डेय जी रामनगर में बस गए।
पंडित श्री पूर्णानंद पाण्डेय जी के दूसरे बेटे श्री रमापति पाण्डेय जी के चार पुत्र हुए। श्री देवी दत्त पाण्डेय, श्री खिमानंद पाण्डेय, श्री कमलापति पाण्डेय, श्री हरिदत्त पाण्डेय ये ग्राम खगरेटी (द्वाराहाट) में बसे हुए हैं।
पंडित श्री पूर्णानंद पाण्डेय जी के तीसरे बेटे पंडित श्री रघापति पाण्डेय जी के चार पुत्र हुए।श्री शंकर दत्त पाण्डेय जी, उमाकांत पाण्डेय जी, श्री प्रेम बल्लभ पाण्डेय जी, श्री देवी दत्त पाण्डेय जी।
श्री शंकर दत्त पाण्डेय जी के दो बेटे हुए- श्री बचराम पाण्डेय, श्री केवलानंद पाण्डेय, ये अब कुरुक्षेत्र में जाकर बस गए। श्री बचराम पाण्डेय जी के चार पुत्र हुए- श्री प्रकाश चन्द्र पाण्डेय, श्री नवीन चंद्र पाण्डेय, श्री कैलाश चंद्र पाण्डेय, श्री दिनेश चंद्र पाण्डेय ये अब दिल्ली में बसे हुए हैं।
श्री उमाकांत पाण्डेय जी ये घर से निकल गए इनका कोई पता नहीं कहां जाता है इनका एक बेटा हुआ जिसका नाम रामदत्त था। शायद इससे आगे बंश नहीं चला।
श्री प्रेम बल्लभ पाण्डेय जी के पुत्र श्री देवकीनंदन पाण्डेय हुए, इनके तीन बेटे हुए- श्री शम्भु दत्त पाण्डेय, श्री मथुरा दत्त पाण्डेय, श्री लक्ष्मी दत्त पाण्डेय। ये दिल्ली में रहते हैं।
श्रीदेवी दत्त पाण्डेय जी के छ: पुत्र हुए। क्योंकि की दो पत्नियां थी, बड़ी पत्नी का नाम श्रीमती पदमा वेवी तथा दूसरी पत्नी का नाम श्रीमती हीरा देवी था। श्रीमती पदमा देवी से श्री बाला दत्त पाण्डेय जी का जन्म हुआ। और श्रीमती हीरा देवी से- श्री जयदत्त पाण्डेय जी, श्री टीकाराम पाण्डेय जी, श्री धर्मानंद पाण्डेय जी, श्री हरिदत्त पाण्डेय जी, श्री माधवानंद पाण्डेय जी,पांच पुत्र व चार कन्याओं का जन्म हुआ। इसी समय के दौरान पंडित श्री देवी दत्त पाण्डेय जी अपनी पत्नी व बच्चों के साथ ग्राम गहणा से रामगंगा नदी को तैरकर (पारकर) गहणा के सामने ही ग्राम पाण्डेय खोला (नौगांव) में आ बसे।
(१) श्री बाला दत्त पांडेय जी :- इनका विवाह उपमन्यु गोत्री श्रीमती कुंती देवी के साथ हुआ, ये यहां से जाकर ऋषिकेश में बस गए। इनके छ: बच्चे हुए, श्री ईश्वर दत्त पाण्डेय, नीता, जानकी,कमला, भुवन चंद्र पाण्डेय व गिरीश पाण्डेय। ईश्वर दत्त पाण्डेय जी का विवाह श्रीमती मीरा देवी के साथ हुआ इनके दो बच्चे हैं शिशिर व शरद।
नीता का विवाह गौतम गोत्री श्री तामेश्वर जी के साथ किया गया। जानकी का विवाह काश्यप गोत्री श्री रघुनंदन जोशी जी के साथ किया गया। और कमला का विवाह गौतम गोत्री राकेश पांडे जी के साथ हुआ। श्री भुवन चंद्र पाण्डेय जी का विवाह अंगीरस गोत्री श्रीमती भावना देवी के साथ हुआ इनके भी दो बच्चे हैं पीयूष वह प्रिया। श्री गिरीश पाण्डेय जी का विवाह भारद्वाज गोत्री श्रीमती सुनीता देवी के साथ हुआ इनका अभी तक एक लड़का हुआ है जिसका नाम मनोज है।
पंडित श्री देवी दत्त पाण्डेय जी की दूसरी पत्नी श्रीमती हीरा देवी के पांच पुत्र व चार कन्याएं हुई जिनके नाम इस प्रकार हैं श्री जयदत्त पाण्डेय जी, श्री टीकाराम पाण्डेय जी, श्री धर्मानंद पाण्डेय जी, श्री हरि दत्त पाण्डेय जी, श्री माधवानंद पाण्डेय जी और कन्याऐं नंदी देवी, झिपुली देवी, खगोती देवी, तथा सारंगी देवी। श्रीमती नंदी देवी का विवाह तिवारी वंश ग्राम-झलोरी में किया गया। श्रीमती झिपुली देवी का विवाह जोशी वन ग्राम महंग्यारी में अंगीरस गोत्र श्री पीतांबर दत्त जोशी जी के साथ किया गया। जिन के बेटे का नाम आचार्य श्री रमेश चंद्र जोशी जी, श्री कैलाश चंद्र जोशी जी, श्री ललित चन्द्र जोशी जी, भगवती देवी जन्म के कुछ वर्षों बाद स्वर्ग सिधार गई। श्रीमती नारंगी देवी का विवाह तिवारी वंश ग्राम खडगोली में किया गया, इनके दो बेटे है। श्री रमेश चंद्र तिवारी जी वर्तमान समय में रानीखेत के पुस्तकालय में सुचारु रुप से कार्य कर रहे हैं। और दूसरे बेटे श्री गोपाल तिवारी जी।
(२) पंडित श्री जयदत्त पाण्डेय जी :- इन्होंने दो विवाह किए। पहली पत्नी श्रीमती मोहनी देवी के तीन बच्चे हुए- श्री बसवानंद पाण्डेय जी, श्री दामोदर पाण्डेय, और एक कन्या हुई हंसी जो कुछ वर्षों बाद इस संसार से चल बसी।
श्री बसवानंद पाण्डेय जी :- का विवाह श्रीमती पुष्पा देवी के साथ हुआ। इनके चार बच्चे हुए भावना, कृष्ण कुमार, पवित्रा और विनोद। भावना का विवाह श्री राजू उपाध्याय के साथ हल्द्वानी में हुआ। तथा पवित्रा का विवाह श्री कैलाश चंद्र जी के साथ बरेली में हुआ।
श्री दामोदर पाण्डेय जी :- का विवाह श्रीमती पुष्पा देवी के साथ हुआ। इनके तीन बच्चे हुए दीप्ति, पिंकी व संजू।
पंडित श्री जयदत्त पांडेय जी की दूसरी पत्नी श्रीमती खष्टी देवी- इनके तीन बेटे व चार बेटियां हुई- श्री खीमानंद पाण्डेय जी, तुलसी, शांति, विमला, श्री दिनेश चंद्र पाण्डेय जी, नीता, श्री महेश चंद्र पाण्डेय जी। ये तीनों भाई मुंबई में आकर रहने लगे।
श्री खीमानंद पाण्डेय जी :- का विवाह ग्राम सिमोली वशिष्ट गोत्री श्रीमती प्रेमा देवी के साथ हुआ। इनकी पांच कन्याएं हुई। चंद्रकला, किरन, मीनाक्षी, छाया, ज्योति। चंद्रकला का विवाह श्री हरीश चंद्र उपाध्याय जी के साथ मुंबई में हुआ।
तुलसी का विवाह गौतम गोत्री श्री भुवन चंद्र तिवारी जी के साथ किया गया। शांति का विवाह ग्राम पंतगांव में पाराशर गोत्री श्री जगदीश चंद्र पंत जी के साथ किया गया। तथा विमला का विवाह ग्राम महंग्यारी में श्री पीतांबर दत्त जोशी जी के साथ हुआ।
पंडित श्री दिनेश चंद्र पाण्डेय जी :- का विवाह भारद्वाज गोत्री श्रीमती गीता देवी के साथ मुंबई में हुआ। इनके दो बच्चे हैं गौरव व दिवांशी।
श्री महेश चंद्र पाण्डेय जी :- का विवाह उपमन्यु गोत्री जोशी वंश श्रीमती रेखा देवी के साथ मुंबई में हुआ। इनके दो बच्चे हैं कोमल व रूद्र पाण्डेय।
(३) पंडित श्री टीकाराम पाण्डेय जी :- इनका विवाह श्रीमती राधा देवी के साथ हुआ, उनके पांच बेटे और एक बेटी हुई जिनके नाम श्री दीपक चंद्र पाण्डेय जी, श्री गोपाल दत्त पाण्डेय जी, श्री तारा दत्त पाण्डेय जी, श्री दामोदर पाण्डेय जी, श्री उमाकांत पाण्डेय और अम्बा।
श्री दीपक चंद्र पाण्डेय जी :- का विवाह भट्ट वंश श्रीमती मुन्नी देवी के साथ हुआ। इनके चार कन्याएं हुई सुमन, ज्योति, नीलम, व दीपा। सुमन का विवाह श्री विनोद कुमार जोशी जी के साथ किया गया तथा ज्योति का विवाह श्री प्रकाश चंद्र जी के साथ किया गया तथा नीलम का विवाह श्री धीरज चन्द्र जी के साथ किया गया।
श्री गोपाल दत्त पाण्डेय :- इनका विवाह श्रीमती भागीरथी देवी के साथ हुआ, उनके दो बेटे और दो बेटियां हुई- पुष्पा, प्रमोद, मंजू, और मनोज। पुष्पा का विवाह रानीखेत में मनोज कुमार पांडे जी के साथ किया गया। तथा मंजू का विवाह देवेंद्र पांडे जी के साथ रानीखेत में हुआ और प्रमोद का विवाह हल्द्वानी में खुशबू देवी के साथ हुआ।
पंडित श्री तारा दत्त पाण्डेय जी :- इनका विवाह ग्राम महंग्यारी अंगीरस गोत्री पंडित श्री चंद्रमणी जोशी जी की कन्या श्रीमती गंगा देवी के साथ हुआ, पंडित श्री चंद्रमणी जोशी जी ने दो विवाह किए, पहला विवाह श्रीमती लीला देवी के साथ के किया इनसे उनकी कोई संतान नहीं हुई। तब वंश को चलाने के लिए उन्होंने दूसरा विवाह श्रीमती सावित्री देवी के साथ किया। इनसे जोशी जी के पांच बच्चे हुए- गंगा, जानकी, श्री भुवन चंद्र जोशी जी, श्री गोपाल दत्त जोशी जी और प्रेमा। पंडित श्री चंद्रमणी जोशी जी कर्मकांड ज्योतिष आदि के विद्वान रहे, इनके पिता श्री पंडित भोला दत्त जोशी जी और दादा श्री पूर्णानंद जोशी जी थे। जिनके पूर्वज ग्राम- गल्ली (अल्मोड़ा) से ग्राम- महंग्यारी (विचला चकोर) में आए। कुमाऊं के इतिहास में गल्ली के जोशियों का वर्णन आया है। जो समाज में प्रतिष्ठित ज्योतिषियों के रुप में जाने जाते थे।
पंडित श्री तारा दत्त पाण्डेय जी पांडीत्य- पुरोहिताई का कार्य करते हैं, शास्त्रों व पुराणों का गहन अध्ययन करते हुए कर्मकांड आदि के ज्ञाता है। अध्ययन में इनकी विशेष रुचि है, अपने निवास तथा से पूर्व की ओर लगभग 50 मीटर की दूरी पर घनाघोर झाड़ियां व पहाड़ी को काटकर बहुत ही सुंदर शिव मंदिर व भैरव मंदिर का मंदिर का निर्माण किया, जिसके चारों ओर सुंदर वृक्षों की छाया से शिवजी का वह मंदिर रमणीय मनमोहक लगता है। श्रीमान पंडित जी ने और भी मंदिरों का निर्माण तथा जीर्णोद्धार किया। अध्यात्म व भगवान के प्रति अत्यधिक श्रद्धा व भक्ति भाव की निष्ठा से ही मां भगवती जगदंबा त्रिगुणात्मक राज राजेश्वरी दुर्गा देवी की विशेष कृपा है। पंडित श्री तारा दत्त पाण्डेय जी के बच्चों के नाम इस प्रकार है। (१) पंडित ज्योतिर्विद प्रयाग दत्त पाण्डेय, (२) उमा, (३)राम दत्त पाण्डेय, (४) इन्दु, (५) आचार्य दिनेश चन्द्र पाण्डेय। इस प्रकार पंडित श्री तारा दत्त पाण्डेय जी की पत्नी श्रीमती गंगा देवी के गर्भ से पांच बच्चों का जन्म हुआ।
ज्योतिर्विद पंडित प्रयाग दत्त पाण्डेय का विवाह पाटकोट (रामनगर) के रहने वाले भारद्वाज गोत्री श्री महेश चंद्र पांडे जी की दूसरी कन्या श्रीमती गीता देवी के साथ हुआ। इनके तीन बच्चे हैं- शाक्षी, लक्ष्मी व आदित्य।
उमा का विवाह ग्राम सिमोली वशिष्ट गोत्री श्री अनिल कुमार पांडे जी के साथ किया गया, इनके दो बच्चे सत्यम व जागृति है।
राम दत्त पाण्डेय जन्म के आठवे वर्ष इस मृत्युलोक के मायावी संसार को छोड़कर अपने धाम को चले गए।
इंदु का विवाह दीपक चंद्र जोशी जी से हुआ। इनके दो बच्चे है- आंचल व शोर्य।
श्री दामोदर पाण्डेय (शास्त्री) जी इनका विवाह श्रीमती मीना देवी के साथ हुआ, इनके तीन बच्चे हैं। दीपा, मनोज, और रीना।
श्री उमाकांत पाण्डेय जी जन्म के कुछ वर्षों बाद इस संसार को छोड़ गए।
अंबा का विवाह जोशी वंश ग्राम टमाढोन (चकोट) में श्री महेश चंद्र जोशी जी के साथ किया गया।
(४) पंडित श्री धर्मानंद पांडे जी :- इनका विवाह श्रीमती तारा देवी के साथ हुआ इनके दो बेटे और एक बेटी हुई श्री कैलाश चंद्र पाण्डेय, इंदिरा, श्री नरेंद्र पाण्डेय।
इंदिरा का विवाह श्री पंकज कुमार पांडे जी के साथ किया गया।
श्री कैलाश चंद्र पाण्डेय जी का विवाह श्रीमती सुषमा देवी के साथ हुआ, इनके बच्चों के नाम सौरव और हिना है।
श्री नरेंद्र पाण्डेय जी का विवाह ग्राम दसौली से श्रीमती हेमा देवी के साथ हुआ इनके भी दो बच्चे हैं अंकित और यश।
(५) पंडित श्री हरि दत्त पांडे जी :- इनका विवाह श्रीमती भागीरथी देवी के साथ हुआ इनके पांच बेटे व तीन बेटियां हुई, प्रेमा, श्री प्रकाश चंद्र पाण्डेय, गीता, दमयंती, श्री विपिन चंद्र पाण्डेय, मनोज कुमार पाण्डेय, रमेश चंद्र पाण्डेय, व कमलेश पाण्डेय।
प्रेमा का विवाह श्री रमेश चंद्र जोशी जी के साथ किया गया।
गीता का विवाह श्री------ पंत जी के साथ किया गया।
मयंती का विवाह श्री------- पाठक जी के साथ किया गया।
श्री प्रकाश चंद्र पाण्डेय जी का विवाह श्रीमती शांति देवी के साथ हुआ। इनके तीन लड़के हुए मुकेश, नीरज, उमेश।
श्री विपिन चंद्र पाण्डेय जी का विवाह ग्राम सखौला तिवारी वंश श्रीमती रेखा (रजनी) देवी के साथ हुआ। इनके भी तीन बच्चे हैं दीपक, अंनु तथा वर्षा।
श्री मनोज चंद्र पाण्डेय जी का विवाह श्रीमती आशा देवी के साथ हुआ, इनके दो बच्चे हैं- साहिल वह मोहित।
श्री रमेश चंद्र पाण्डेय जी का विवाह श्रीमती दीपा जी के साथ हुआ इनके तीन बच्चे हैं गौरव, मीनू व नित्यानंद।
(६) पंडित श्री माधवानंद पाण्डेय जी :- इनका विवाह श्रीमती सरस्वती देवी के साथ हुआ इनके दो बेटे और एक कन्या हुई, श्री पूरन चंद्र पाण्डेय, श्री भुवन चंद्र पाण्डेय, दीपा।
दीपा का विवाह पाटकोट में श्री पंकज चंद्र पांडे जी के साथ किया गया।
श्री पूरन चंद्र पाण्डेय जी का विवाह जोशी वंश श्रीमती उमा देवी के साथ हुआ, इनके दो बच्चे हैं दिगंबर व दिनेश।
श्री भुवन चंद्र पाण्डेय जी का विवाह तिवारी वंश ग्राम कहडगांव से श्रीमती दीपा देवी के साथ हुआ, इनके दो बच्चे गीता व तनुज है।
इसी प्रकार हमारे पूर्वजों को सिमाल्टिया गांव से लगभग २८० वर्ष पूर्व ग्राम ग्रहणा (सल्ट) में आए हुए हो गए हैं। और ग्राम ग्रहणा से लगभग ८० वर्ष पहले हमारे परदादा ग्राम पाण्डेय खोला (नौगांव) में आए। तब से अभी तक पांडे खोला (नौगांव) अल्मोड़ा उत्तराखंड में चार पीडी हुई है। मेने अपने अधिकतम जानकारी के अनुसार २१ जून २०२१ तक की वंशावली को इस में दर्शाया गया है।
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