कामिका एकादशी व्रत 31 जुलाई 2024
ब्रह्मवैर्वत पुराणमें युधिष्ठिर महाराज और भगवान् श्रीकृष्ण के संवाद में कामिका एकादशी का महात्म्य वर्णित है। युधिष्ठिर महाराज ने कहा हे भगवान् ! आपसे मैने देवशयनी एकादशी के बारे में सुना कृपया आप श्रावण मास के कृष्ण पक्ष में आनेवाली एकादशी का वर्णन करे।
भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा हे राजन ! ध्यानसे सुनिए! बहुत पहले नारदजी ने यही प्रश्न ब्रह्माजी को पूछा था। इस तिथि को किसकी और कैसी उपासना करनी चाहिए इस बारे में भी पूछा था।
भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा हे राजन ! ध्यानसे सुनिए! बहुत पहले नारदजी ने यही प्रश्न ब्रह्माजी को पूछा था। इस तिथि को किसकी और कैसी उपासना करनी चाहिए इस बारे में भी पूछा था।
श्रृष्टी करता ब्रह्माजी ने कहा इस एकादशी को 'कामिका' कहते है इसके महात्म्य को श्रवण करनेसे 'वाजपेय' यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है। इस तिथि को शंख, चक्र, गदा, पद्म धारण करनेवाले भगवान् विष्णुकी पूजा करनी चाहिये। इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करने से पवित्र तीर्थस्नान जैसे की गंगा काशी, नैमिशारण्य, पुष्कर जैसे पवित्र स्थानों पर स्नान करनेका पुण्य प्राप्त होता है। सूर्यग्रहण के समय केदारनाथ अथवा कुरुक्षेत्र में स्नान करने वाले पुण्य से हजारों गुना अधिक पुण्य केवल कामिका एकादशी को विष्णुकी पूजा करने से मिलता है।
जिस प्रकार कमलको पानी स्पर्श नही कर सकता उसी प्रकार कामिका एकादशी करने वाले को पाप स्पर्श नही कर सकता। जो कोई भी तुलसी पत्र से भगवान् हरिकी उपासना करता है, वह सभी पापों से मुक्त होता है। तुलसी के केवल दर्शन मात्र से सभी पाप नष्ट हो जाते है तुलसी देवी को स्पर्श करने से हम पावन बन जाते है। तुलसी देवी की प्रार्थना करने से व्यक्ति रोग मुक्त हो जाता है। तुलसी रोपन करने से भगवान श्रीकृष्ण के साथ रहने का भाग्य प्राप्त होता है और उनके चरणकमलों पर तुलसी अर्पण करने से भक्ति प्राप्त होती है।
एकादशी के दिन तुलसी महारानीको घी का दीपक और प्रणाम अर्पण करनेसे उससे प्राप्त होनेवाले पुण्य का हिसाब करने के लिए चित्रगुप्त भी असमर्थ है। कामिका एकादशी का व्रत करनेसे भ्रूणहत्या तथा ब्रह्महत्या जैसे महापातक से भी मुक्ति मिलती है। इस महात्म्य का श्रद्धा से जो भी श्रवण अथवा कथन करेगा उसे वैकुंठ प्राप्ति होती है।
एकादशी भारतीय हिन्दू धर्म का एक प्रमुख (उपवास) व्रत है यह एकादशी व्रत माह में दो बार आता है पहली पूर्णिमा के बाद और दूसरी अमावस्या के बाद आती है।
पूर्णिमा की बात आने वाली एकादशी हो कृष्ण पक्ष की एकादशी कहा जाता है और अमावस्या के बाद आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहा जाता है।
साल भर में 24 एकादशी आती हैं कभी-कभी अधिक मास एवं मलमास आ जाने से इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है जो भिन्न-भिन्न नामों से जानी जाती है।
हेमाद्री (चतुर्वर्ग चिन्तामणि) के अनुसार जिनके पुत्र हैं उन्हें कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत नहीं करना चाहिए।
ग्रहस्थीयों के लिए केवल शुक्ल पक्ष की एकादशी का ही व्रत करना चाहिए।
आचार्य दिनेश पाण्डेय शास्त्री (मुम्बई & उत्तराखण्ड)
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