Type Here to Get Search Results !

त्रिपिंडी श्राद्ध-पितृ दोष से मुक्ति और अज्ञात आत्माओं की शांति के लिए

भारतीय संस्कृति और धर्म में पितरों (पूर्वजों) की स्मृति और उनकी आत्मा की शांति के लिए विभिन्न अनुष्ठानों का विधान है। इनमें से एक अत्यंत महत्वपूर्ण अनुष्ठान है त्रिपिंडी श्राद्ध, जिसे पितृ दोष से मुक्ति और अज्ञात आत्माओं की शांति के लिए किया जाता है।

"शिव शक्ति ज्योतिष केन्द्र" व्हाट्सप्प ग्रुप जॉइन करें - यहां क्लिक करें। 

यह अनुष्ठान न केवल हमारे पूर्वजों की आत्मा को शांति प्रदान करता है, बल्कि परिवार के लोगों के जीवन में सुख-समृद्धि और शांति लाने में भी सहायक होता है।

 

त्रिपिंडी श्राद्ध तीन प्रेत योनियां-

तमोगुणी, रजोगुणी तथा सतोगुणी ये तीन प्रेत योनियां हैं। पिशाच तमोगुणी होते हैं। अंतरिक्ष में रजोगुणी तथा वायुमंडल में सतोगुणी पिशाच होते हैं । इन तीनों प्रकार की प्रेतयोनियों की पीड़ा को मिटाने के लिए पितृ पक्ष में त्रिपिंडी श्राद्ध बहुत आवश्यक है। आदित्यपुराण कहता है कि श्राद्ध न करने से पितर लोग अपने वंशजों को बहुत परेशान करते हैं। जो लोग कई वर्षों से श्राद्ध नहीं किये हैं उनके लिए त्रिपिंडी श्राद्ध करवाना बहुत जरूरी है। अज्ञात आत्माओं की शांति के लिए जिनकी उपस्थिति जीवन में बाधाएं उत्पन्न कर रही हो।  प्रेतबाधा, गृहक्लेश, भूतबाधाअशांतिबीमारीअकाल मृत्यु व तमाम समस्याओं के निदान हेतु त्रिपिंडी श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।

त्रिपिंडी श्राद्ध में ब्रम्हा, विष्णु तथा महेश की प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा करके पूजन करने का विधान है। जो आत्मा आपको परेशान कर रही थी वह त्रिपिंडी श्राद्ध के बाद प्रेत योनि से मुक्त हो जाएगी।

 

त्रिपिंडी श्राद्ध की आवश्यकता

मान्यता है कि किसी भी परिवार में पितृ दोष होने पर वह परिवार आर्थिक, सामाजिक और मानसिक समस्याओं से घिर सकता है। जैसे -

  1. विवाह में देरी।
  2. संतान प्राप्ति में बाधा।
  3. परिवार में लगातार रोग या मानसिक अशांति।
  4. अचानक आर्थिक हानि या असफलता।

यह भी कहा जाता है कि यदि परिवार के किसी सदस्य की अकाल मृत्यु हो जाती है या उसकी आत्मा संतुष्ट नहीं है, तो वह आत्मा ‘प्रेत योनि’ में चली जाती है और परिवार को प्रभावित करती है। त्रिपिंडी श्राद्ध इन बाधाओं को समाप्त कर आत्मा को मुक्ति प्रदान करता है।

 

त्रिपिंडी श्राद्ध का विधान

त्रिपिंडी श्राद्ध में ब्रम्हा, विष्णु तथा महेश की प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा करके पूजन करने का विधान है। हमें जो आत्मा परेशान करती है उसके लिए अनदिष्ट गोत्र शब्द का प्रयोग किया जाता है क्योंकि वह अज्ञात होती है। प्रेतयोनि प्राप्त उस जीवात्मा को संबोधित करते हुए यह श्राद्ध किया जाता है। इस विधि को श्रावण, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, फाल्गुन तथा वैशाख में 5, 8,11,13,14 तथा 30 में शुक्ल पक्ष तथा कृष्ण पक्ष की तिथियों में भी किया जा सकता है। पितृ पक्ष या अमावस्या इस पूजा के लिए सबसे उत्तम समय है।

1. स्नान और शुद्धि

श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को प्रातः काल स्नान कर शुद्ध सफेद वस्त्र धारण करना चाहिए। यह शुद्धि अनुष्ठान के लिए आवश्यक है।

2. स्थान का चयन

श्राद्ध मुख्य रूप से तीर्थ स्थलों पर या पवित्र स्थानों जैसे - गंगा नदी, प्रयागराज, काशी, गया, मुम्बई में बाणगंगा आदि में किया जाता है। घर में भी इसे संपन्न किया जा सकता है।

3. पिंडदान और प्राण-प्रतिष्ठा

त्रिपिंडी श्राद्ध में ब्रह्मा, विष्णु और महेश की प्रतिमाओं की प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है।

  • चावल, जौ, तिल से तीन पिंड बनाए जाते हैं।
  • त्रिपिंडी श्राद्ध में पांच ब्राह्मण की आवश्यकता होती है जिसमें तीन ब्राह्मण ब्रह्मा विष्णु और महेश की मंत्रो का जाप करते हैं और दो ब्राह्मण पूजा संपन्न करवाते हैं
  • पूजा के दौरान, मंत्रोच्चारण और ध्यान के माध्यम से पिंडों को पितरों की आत्मा के प्रतीक के रूप में स्थापित किया जाता है।

4. पितृ तर्पण

श्राद्धकर्ता जल, दूध और तिल के माध्यम से पितरों को तर्पण देते हैं। यह तर्पण आत्मा की तृप्ति और शांति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

5. भोजन और दान

त्रिपिंडी श्राद्ध के अंत में ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और वस्त्र, अन्न या धन का दान दिया जाता है। यह माना जाता है कि इससे पितरों को संतोष प्राप्त होता है।

त्रिपिंडी श्राद्ध के लाभ

त्रिपिंडी श्राद्ध करने से व्यक्ति को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

  1. पितृ दोष से मुक्ति: यह अनुष्ठान पितृ दोष के कारण उत्पन्न समस्याओं को समाप्त करता है।
  2. प्रेत योनि से मुक्ति: जिन आत्माओं को शांति नहीं मिल पाई है, वे त्रिपिंडी श्राद्ध के माध्यम से मोक्ष प्राप्त करती हैं।
  3. पारिवारिक सुख-शांति: पितरों की कृपा से परिवार में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।
  4. आध्यात्मिक उन्नति: यह अनुष्ठान व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति की ओर प्रेरित करता है।

 

त्रिपिंडी श्राद्ध का धार्मिक महत्व और विधान

त्रिपिंडी श्राध्द का आरम्भ करने से पूर्व किसी पवित्र नदी या तीर्थ स्थान में शरीर शुध्दि के लिये प्रायश्चित के तौर पर क्षौर कर्म कराने का विधान है। त्रिपिंडी श्राध्द में ब्रह्मा, विष्णु् और महेश इनकी प्रतिमाएं तैयार करवाकर उनकी प्राण-प्रतिष्ठापुर्वक पूजन किया जाता है। ब्राह्मण से इन तीनों देवताओं के लिये मंत्रों का जाप करवाया जाता है। हमें सतानेवाला, परेशान करने वाला पिशाचयोनि प्राप्त जो जीवात्मा है, उसका नाम एवं गोत्र हमे ज्ञात नहीं होने से उसके लिये अनाधिष्ट गोत्र शब्द‍ का प्रयोग किया जाता है। अंतत: इससे प्रेतयोनि प्राप्त उस जीवात्मा को सम्बोधित करते हुए यह श्राध्द किया जाता है। जौ तिल, चावल के आटे के तीन पिंड तैयार किये जाते हैं। जौ का पिंड समंत्रक एवं सात्विक होता हे, वासना के साथ प्रेतयोनि में गये जीवात्मा को यह पिंड दिया जाता है। चावल के आटे से बना पिंड रजोगुणी प्रेतयोनी में गए प्रेतात्माओ को दिया जाता है। इन तीनों पिंडो का पूजन करके अर्ध्यं देकर देवाताओं को अर्पण किये जाते है। हमारे कुलवंश को पिडा देने वाली प्रेतयोनि को प्राप्त जीवात्मा ओं को इस श्राध्द कर्म से तृप्ती हो और उनको सदगति प्राप्त हो, ऐसी प्रार्थना के साथ यह कर्म किया जाता है। सोना, चांदी,तांबा, गाय, काले तिल, उडद, छत्र-खडाऊ, कमंडल में चीजें प्रत्यक्ष रुप में या उनकी कीमत के रुप में नकद रकम दान देकर अर्ध्य दान करने के पश्चात ब्राह्मण एवं सौभाग्यीशाली स्त्री को भोजन करवाने के पश्चाडत यह श्राध्दं कर्म पूर्ण होता है।

त्रिपिंडी श्राद्ध मुम्बई करने के लिए आप हमें संपर्क कर सकते हैं 9410305042

 आचार्य दिनेश पाण्डेय शास्त्री (मुम्बई & उत्तराखण्ड)


👉 "पूजा पाठ, ग्रह अनुष्ठान, शादी विवाह, पार्थिव शिव पूजन, रुद्राभिषेक, ग्रह प्रवेश, वास्तु शांति, पितृदोष,  कालसर्पदोष निवारण इत्यादि के लिए सम्पर्क करें वैदिक ब्राह्मण ज्योतिषाचार्य दिनेश पाण्डेय शास्त्री जी से मोबाइल नम्वर - 

+91 9410305042  

+91 9411315042 


👉 भारतीय हिन्दू त्यौहारों से सम्बन्धित लैटस्ट अपडेट पाने के लिए -

"शिव शक्ति ज्योतिष केन्द्र" व्हाट्सप्प ग्रुप जॉइन करें - यहां क्लिक करें। 

"शिव शक्ति ज्योतिष केन्द्र" व्हाट्सप्प चैनल फॉलो करें - यहां क्लिक करें। 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad