Type Here to Get Search Results !

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 2 अप्रैल 2022 से नल संवत्सर प्रारंभ

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 2 अप्रैल 2022 से नल नामक संवत्सर प्रारंभ

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा ( 2 अप्रैल , शनिवार ) से ' शिवविंशति ' का ' नल ' नामक नया विक्रमी संवत् २०७९ शुरु होगा । आगामी वर्षकाल के मध्य व्रतानुष्ठान , दान , होमादि शुभ कार्यों के संकल्प में इसी नाम (नल) का प्रयोग होगा। 

नव संवत् का राजा 'शनि' तथा मन्त्री 'बृहस्पति' होगा। यद्यपि केन्द्रीय सरकार लोकहितार्थ अनेक बहुमुखी योजनाएं बनाएगी, परन्तु विपरीत जलवायु, प्राकृतिक प्रकोपों के कारण दुर्भिक्ष - जन्य परिस्थितियां बनेंगी । सरकार की गलत तथा दोषपूर्ण नीतियों के कारण स्थिति अधिक विकट बनेगी । लोगों में असुरक्षा की भावना, क्लिष्ट रोग , महँगाई एवं आर्थिक अस्थिरता के कारण परेशान रहें । कुछ राज्यों में मारकाट , दंगा , विस्फोट व जनहानि हो । बच्चों में रोगादि फैलने से विशेष हड़कम्प मचेगा।

संवत्सर एवं राजा - मन्त्री आदि के फल विस्तृत रूप से जानने हेतु यहां क्कलिक करें। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (2 अप्रैल) को प्रातः 8:30 बजे से वैधृति नामक अशुभ योग का प्रारम्भ हो रहा है। अतएव इस समय से पहिले ( पूर्व ) ही सम्वत्सर पूजन , घटस्थापन , ॐकार सहित पंचदेव एवं दुर्गा पूजन कर लेना चाहिए । इसी शुभ मुहूर्त में ही नवसंवत् , राजा मंत्री आदि का फल किसी प्रतिष्ठित ब्राह्मण , गुरुजन के श्रीमुख द्वारा श्रवण करना शुभ होता है । चैत्र प्रतिपदा से नवमीपर्यन्त ( ता . 2 से 10 अप्रै . ) श्रीदुर्गा / गणेश प्रतिमा के सम्मुख नारियल सहित घटस्थापन करके नित्यप्रति अखण्ड दीप ज्योति प्रज्वलित करके श्रीदुर्गा सप्तशती का संकल्पपूर्वक पाठ करने का विधान है । वैशाख संक्रान्ति- ता . 14 अप्रैल , गुरुवार को प्रातः 8:39 पर पू.फा. नक्षत्रकालीन वृष लग्न में प्रवेश करेगी । ३० मुहू . इस सं . का पुण्यकाल दोपहर 15:03 बजे तक रहेगा। वारानुसार नन्दा तथा नक्षत्रानुसार घोरा नाम यह सं . नीच व दुष्टजनों के लिए लाभप्रद रहेगा । ग्रहगोचर - चैत्र मास में पाँच शनिवार तथा गोचरस्थ ' कालसर्प योग ' रहने से नेताओं में टकराव एवं द्वेष की स्थिति लोगों में कलह - क्लेश तथा रोगभय , बेईमानी व लूटमार की वारदातें अधिक होंगी।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad