
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 15 अगस्त 2025, पूजा मूहूर्त
हिन्दू धर्म में जन्माष्टमी पर्व का विशेष महत्व है। जन्माष्टमी का त्योहार भगवान कृष्ण के जन्म के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इसे कृष्णष्टमी या गोकुलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए जन्माष्टमी का त्यौहार बहुत महत्व रखता है। 15 अगस्त 2025 को भगवान श्रीकृष्ण का 5252 वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। यह त्योहार भाद्रपद माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन मनाया जाता है। जन्माष्टमी का त्योहार देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में धूम-धाम से मनाया जाता है. आइए जानते हैं कि इस साल जन्माष्टमी पूजा मूहूर्त।
15 अगस्त, 2025 ई., शुक्रवार को सप्तमी तिथि रात्रि 11 बजकर 50 मिनट तक (23:50) व्याप्त है, तदुपरान्त अर्द्धरात्रि में अष्टमी तिथि व्याप्त है अत एव गृहस्थी आदि स्मार्त्त लोगों को 15 अगस्त के दिन व्रत, पूजन, चन्द्रमा को अर्घ्य देना, झूला-झुलाना आदि के लिए यही दिन प्रशस्त होगा। जबकि 16 अगस्त, 2025 ई. शनिवार को अष्टमी तिथि रात्रि 9 बजकर, 35 मिनट (21:35) तक ही व्याप्त है अर्थात् अर्द्धरात्रि के समय नवमी तिथि व्याप्त है। यद्यपि 16 ता. को दोपहर 11:44 के बाद वृष राशिस्थ चन्द्रमा होने से अर्धरात्रि के समय भी वृषराशिस्थ चन्द्रमा रहेगा परन्तु अष्टमी तिथि का अभाव रहेगा।
तिथि-निर्णय अनुसार भी जन्माष्टमी में अर्धरात्रि को ही मुख्य निर्णायक तत्त्व माना है-रोहिणी नक्षत्र अथवा वृष राशिस्थ चन्द्रमा मुख्य निर्णायक नहीं है। अष्टमी तिथि चाहे शुद्धा (सूर्योदय से अर्धरात्रि तक) हो अथवा सप्तमीविद्धा-पूर्व (पहिले) दिन को ही व्रत करना युक्ति संगत है।
श्रीकृष्ण का जन्म अर्धरात्रि व्यापिनी अष्टमी में हुआ था, अतः जन्माष्टमी व्रत का कर्मकाल (श्रीकृष्ण की विशेष पूजा, श्रीकृष्ण के निमित्त व्रत, बालरुप पूजा, झूला-झुलाना, चन्द्र को अर्घ्यदान, जागरण आदि) अर्धरात्रि ही है, अतएव जन्माष्टमी व्रत रखने के लिए अर्धरात्रि में अष्टमी का होना अनिवार्य है। अर्धरात्रि के समय नवमी तिथि का कोई औचित्य नहीं है। पहले दिन अर्धरात्रि-व्याप्त अष्टमी को छोड़कर व्रत उस दिन करना, जिस दिन अर्धरात्रि के समय अष्टमी व्याप्त नहीं कर रही अपितु वहाँ नवमी तिथि है, किसी भी दृष्टि से शास्त्र-सम्मत एवं तर्कसंगत नहीं है।
ध्यान रहे, भगवान् श्रीकृष्ण की जन्म-स्थली मथुरा-वृन्दावन में वर्षों की परम्परानुसार जन्मोत्सव सूर्य-उदद्यकालिक एवं नवमीविद्धा अष्टमी में मनाने की परम्परा है, जबकि उत्तरी भारत में लगभग सभी प्रान्तों में सैंकड़ों वर्षों से अर्द्धरात्रि एवं चन्द्रोदयव्यापिनी जन्माष्टमी में व्रतादि ग्रहण करने की परम्परा है।
कृष्ण जन्माष्टमी सोमवार 15 अगस्त 2025
भगवान श्रीकृष्ण का 5252वाँ जन्मोत्सव
निशिता पूजा मूहूर्त का समय - 12:20 AM से 01:05 AM, 16 अगस्त
अवधि - 00 घण्टे 45 मिनट्स
धर्म शास्त्र के अनुसार पारण समय
पारण समय - 16 अगस्त को 09:34 PM के बाद
वर्तमान में समाज में प्रचलित पारण समय
पारण समय - 16 अगस्त को 01:05 AM के बाद
भारत में कई स्थानों पर, पारण निशिता यानी हिन्दु मध्यरात्रि के बाद किया जाता है।
रोहिण्यां- अर्धरात्रे च यदा कृष्णाष्टमी भवेत् ।
तस्यांभ्यर्चनं शौरेः हन्ति पापं त्रिजन्मजम् ।।
निर्णय सिंधु अनुसार आधी रात के समय रोहिणी में यह अष्टमी तिथि मिल जाए तो उसमें श्रीकृष्ण का पूजा अर्चना करने से तीन जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं।
आचार्य दिनेश पाण्डेय शास्त्री
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