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मोक्षदा एकादशी व्रत 22 दिसम्बर 2023

 मोक्षदा एकादशी व्रत 22 दिसम्बर  2023

ब्रह्मांड पुराणमें मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष में आनेवाली मोक्षदा एकादशी का महात्म्य भगवान श्रीकृष्ण युधिष्ठिर से कहते है  

युधिष्ठिर महाराजने पूछा, "हे देवदेवेश्वर ! मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्षमें आनेवाली एकादशी का क्या नाम है? उसे किसप्रकार करना चाहिए, किस देवताको पूजना चाहिए कृपया इस विषयपर विस्तार से कहें"

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भगवान श्रीकृष्णने कहा "मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष में आनेवाली एकादशी मोक्षदा कहलाती है । इसकी महिमा सुननेसे वाजपेय यज्ञका फल प्राप्त होता है ! यह एकादशी पापहरण करती है हे राजन् ! इस दिन तुलसी मंजरी और धूप-दीप के साथ भगवान दामोदर की पूजा करनी चाहिए बडे बडे पातकों को नष्ट करनेवाली मोक्षदा एकादशी की रात्रि में मेरी प्रसन्नता के लिए नृत्य, कीर्तन तथा कथा करके जागरण करना चाहिए  जिनके पूर्वज नरकमें है, वे इस एकादशीके पूण्य को पूर्वजोंको दान करनेसे उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है"

प्राचीन काल में वैष्णव निवासीत रमणीय चम्पक नगरमें वैखानस महाराज राज्य करते थे! वे अपनी प्रजाका संतान की भाँति पालन करते थे एक रातको उन्होंने स्वप्न में देखा कि उनके पितर नीच नरक योनि में है अपने पितरोंकी इस अवस्था से आश्चर्यचकित होकर अगले प्रातः काल में ब्राह्मणों को बुलाकर उस स्वप्न के बारे में बताया

महाराज ने कहा, "हे ब्राह्मणो! मैने अपने पितरोंको नरक में देखा है बारबार रूदन- क्रंदन करते हुए मुझे कह रहे थे तुम हमारे तनुज हो, तुम ही हमें इस स्थिति से निकाल सकते हो हे द्विजवर ! मैं उनकी इस अवस्थासे अत्यंत विचलित हूँ क्या करना चाहिए ? कहाँ जाना चाहिए ? कुछ समझ में नही आता हे द्विजश्रेष्ठ ! कौनसा व्रत, तप या योग करनेसे मेरे पूर्वजोंका नरकसे उद्धार होगा, कृपया मुझसे कहिए मेरे जैसा बलवान और साहसी पुत्र होते हुए भी मेरे माता-पिता नरक में हो, तो मेरा जीवन व्यर्थ है ?" ब्राह्मण कहने लगे, "राजन् ! निकट ही पर्वतमुनिका आश्रम है, उन्हे भूत- भविष्य ज्ञात है हे नृपश्रेष्ठ आप उनके पास जाईये 

ब्राह्मणोंकी बात सुनकर तत्काल राजा पर्वतमुनिकें आश्रम में गये और मुनिको दंडवत करके उनके चरणस्पर्श किए मुनिने भी राजा का कुशलक्षेम पूछा! महाराज कहने लगे, "स्वामिन्! आपकी कृपासे राज्य में सब कुशल है किंतु मैंने स्वप्न में देखा कि मेरे पूर्वज नरकमें है कौनसे पुण्यसे उनको मुक्ति मिलेगी कृपया आप कहिए

राजाके वचन सुनकर मुनि कुछ काल ध्यानस्थ हुए और राजा से कहा "महाराज! मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष को मोक्षदा एकादशी आती है उस व्रतका आप सभी पालन करके उसका पुण्य पूर्वजोंको दान कीजिए! उस पुण्य के प्रभावसे उनकी नरकसे मुक्ति होगी

भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा, "हे युधिष्ठिर! मुनि के वचन सुनते ही राजा ने घर लौटकर एकादशी व्रत को धारण करके उसका पुण्य अपने पितरोंको दान किया उस पुण्य के दान करते ही आकाश से पुष्पवृष्टि हुई  वैखानस महाराजा के पिता पूर्वज नरक से बाहर निकल के आकाश में आए और राजा को कहा, "पुत्र तुम्हारा कल्याण हो" इस आशीर्वाद को देकर वे सब स्वर्ग में गए

इस प्रकार जो कोई चिंता मणी समान इस एकादशी का व्रत करेगा उसे मृत्यु के बाद मोक्ष मिलेगा ! जो इस महात्म्य को सुनेगा, पढेगा उसे वाजपेय यज्ञ के फल की प्राप्ति होगी

 आचार्य दिनेश पाण्डेय (मुम्बई & उत्तराखण्ड)


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