Type Here to Get Search Results !

रक्षाबंधन पर पूरे दिन भद्रा का साया, जानें 30 या 31 अगस्त किस दिन बांधे राखी

रक्षाबंधन पर पूरे दिन भद्रा का साया, जानें 30 या 31 अगस्त किस दिन बांधे राखी 

रक्षा बंधन देश भर में श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला एक प्रमुख भारतीय हिंदू त्यौहार है। यह त्योहार भाई और बहन के प्रेम का प्रतीक है। रक्षा बंधन को राखी के नाम से भी जाना जाता है, इस दिन बहन अपने भाई के मस्तक पर टीका लगाकर राखी नामक एक पवित्र धागा हाथ पर बांधती हैं । भाई अपनी बहनों की रक्षा करने का वादा करते हैं और उन्हें उपहार भी देते हैं।

निष्कर्ष: रक्षा सूत्र कोई भी किसी को भी बांध सकता है, उसकी रक्षा के लिए और जो बांध रहा है उसकी रक्षा के लिए भी। लेकिन वर्तमान में प्रचलन से यह परंपरा अब भाई और बहन के बीच ही सिमट कर रह गई है यह अच्छा भी है। भाई को अपनी बहन की रक्षा का वचन देना चाहिए और बहन भी भाई की लंबी आयु की कामना करें। हिन्दू धर्म के सभी धार्मिक अनुष्ठानों में रक्षासूत्र बाँधते समय कर्मकाण्डी पण्डित या आचार्य संस्कृत में एक श्लोक का उच्चारण करते हैं, जिसमें रक्षाबन्धन का सम्बन्ध राजा बलि से स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है। भविष्यपुराण के अनुसार इन्द्राणी द्वारा निर्मित रक्षासूत्र को देवगुरु बृहस्पति ने इन्द्र के हाथों बांधते हुए निम्नलिखित स्वस्तिवाचन किया (यह श्लोक रक्षाबन्धन का अभीष्ट मन्त्र है)-

येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबल:।

तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल ॥

इस श्लोक का हिन्दी भावार्थ है- "जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बाँधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुझे बाँधता हूँ। हे रक्षे (राखी)! तुम अडिग रहना (तू अपने संकल्प से कभी भी विचलित न हो।)"

इस वर्ष 30 अगस्त 2023 को रक्षा बंधन के दिन भद्रा भी लग रही है जो रात्रि 9:03 मिनट पर  समाप्त होगी।

पूर्णिमा तिथि शुरू - 30 अगस्त, 2023 को सुबह 10:58 बजे ।

पूर्णिमा तिथि समाप्त- 31 अगस्त, 2023 को सुबह 7:04 बजे तक।


 

रक्षा बंधन शुभ मुहूर्त

शास्त्रकारों ने भद्रारहित रात्रिकाल में रक्षाबन्धन को विहित बतलाया है।

जैसे- 'तत् (भद्रा) सत्त्वे तु रात्रावपि तदन्ते कुर्यात् ।' - (निर्णयामृत) एवम्

'उदये त्रिमुहूर्त्तन्यूनत्त्व पूर्वेद्युः भद्रारहिते प्रदोषादिकाले कार्यम् ।' -(धर्मसिन्धु)


अतएव शास्त्र-निर्देशानुसार 30 अगस्त को ही प्रदोषकाल के बाद भद्रारहितकाल में अर्थात् रात्रि 9:03 मिनट के बाद रक्षाबन्धन करना चाहिए।

लेकिन जो लोग रात 9:03 मिनट के बाद राखी नहीं बांध सकते हैं। वे अगले दिन यानी 31 अगस्त को सुबह 07 बजकर 04 मिनट से पहले राखी बांध सकते हैं, क्योंकि सुबह 07 बजकर 04 मिनट पर पूर्णिमा तिथि समाप्त हो जाएगी।


परन्तु अति आवश्यक परिस्थितिवश भद्रापुच्छकाल (30 अगस्त को शायं 05:32 मिनट से 06:32 मिनट  तक) में ही रक्षाबन्धन, राखी बांध सकते है।


 आचार्य दिनेश पाण्डेय (मुम्बई & उत्तराखण्ड)


शिव शक्ति ज्योतिष केंद्र द्वारा तृमासिक ज्योतिष परीक्षा 2023 प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम आवेदन फार्म भरे जा रहे हैं- यहां क्लिक करें 


👉 "पूजा पाठ, ग्रह अनुष्ठान, शादी विवाह, पार्थिव शिव पूजन, रुद्राभिषेक, ग्रह प्रवेश, वास्तु शांति, पितृदोष,  कालसर्पदोष निवारण इत्यादि के लिए सम्पर्क करें वैदिक ब्राह्मण ज्योतिषाचार्य दिनेश पाण्डेय जी से मोबाइल नम्वर - +919410305042, +919411315042"


👉 भारतीय हिन्दू त्यौहारों से सम्बन्धित लैटस्ट अपडेट पाने के लिए "शिव शक्ति ज्योतिष केन्द्र" व्हाट्सप्प ग्रुप जॉइन करें - यहां क्लिक करें। 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad