हिन्दू धर्म में जन्माष्टमी पर्व का विशेष महत्व है। जन्माष्टमी का त्योहार भगवान कृष्ण के जन्म के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इसे कृष्णष्टमी या गोकुलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए जन्माष्टमी का त्यौहार बहुत महत्व रखता है. 6 सितंबर को भगवान श्रीकृष्ण का 5250 वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा. यह त्योहार भाद्रपद माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन मनाया जाता है। जन्माष्टमी का त्योहार देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में धूम-धाम से मनाया जाता है. आइए जानते हैं कि इस साल जन्माष्टमी का त्योहार कब मनाया जाएगा ।
कृष्ण जन्मोत्सव के दिन भक्त जन व्रत रखते हैं और रात में 12 बजे भगवान कृष्ण के जन्म के बाद प्रसाद वितरण करके अपना व्रत खोलते हैं. इस साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 37 मिनट से प्रारम्भ हो रही है. इसका समापन अगले दिन 7 सितंबर की शाम 4 बजकर 13 मिनट पर होगा ।
शास्त्रों के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म रात्रि 12 बजे रोहिणी नक्षत्र में हुआ था.
इस मान्यता के अनुसार (स्मार्त) गृहस्थ जीवन वाले 6 सितंबर
को भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाएंगे. मथुरा में भी जन्माष्टमी 6 सितंबर को ही मनाई जाएगी। इसी दिन
रोहिनी नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है. वहीं वैष्णव (संन्यासी) संप्रदायों के श्रीकृष्ण
की पूजा का अलग विधान है. इसलिए वैष्णव संप्रदाय 7 सिंतबर को जन्माष्टमी का त्योहार मनाएंगे ।
रोहिण्यां-
अर्धरात्रे च यदा कृष्णाष्टमी भवेत् ।
तस्यांभ्यर्चनं
शौरेः हन्ति पापं त्रिजन्मजम् ।।
निर्णय सिंधु अनुसार
आधी रात के समय रोहिणी में यह अष्टमी तिथि मिल जाए तो उसमें श्रीकृष्ण का पूजा
अर्चना करने से तीन जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं।
आचार्य दिनेश पाण्डेय (मुम्बई & उत्तराखण्ड)
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