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देवशयनी एकादशी व्रत कथा 17 जुलाई 2024

देवशयनी एकादशी व्रत कथा 17 जुलाई 2024

युधिष्ठिर ने पूछा भगवन्! आषाढ़ के शुक्ल पक्ष में कौन सी एकादशी आती है? उसका नाम और विधि क्या है? कृपा करके मुझे यह बताइए।

भगवान कृष्ण ने कहा राजन! आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम 'देवशयनी' है। मैं उसका वर्णन करता हूँ आप सावधान होकर सुनें। यह बहुत पुण्यदायी, स्वर्ग और मोक्ष देने वाली, सभी पापों को दूर करने वाली तथा उत्तम व्रत है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी के दिन जिन लोगों ने कमल के फूल से कमल नयन वाले भगवान विष्णु की पूजा की है तथा एकादशी का उत्तम व्रत किया है, उन्होंने तीनों लोकों तथा तीनों सनातन देवताओं की पूजा कर ली है। हरिशयनी एकादशी के दिन मेरा एक रूप राजा बलि के यहाँ रहता है तथा दूसरा कार्तिक की अगली एकादशी आने तक क्षीरसागर में शेषनाग की शय्या पर शयन करता है।

अत: आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की एकादशी से कार्तिक के शुक्ल पक्ष की एकादशी तक मनुष्य को धर्म का उचित पालन करना चाहिए। जो मनुष्य इस व्रत को करता है, उसे परम मोक्ष की प्राप्ति होती है

इस एकादशी का व्रत बहुत सावधानी से करना चाहिए। दशमी की रात्रि में जागरण करके भक्तिपूर्वक शंख, चक्र और गदा धारण करने वाले भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने वाले मनुष्य के पुण्य की गणना चतुर्मुख ब्रह्माजी भी नहीं कर सकते। हे राजन! जो मनुष्य भोग और मोक्ष देने वाली तथा समस्त पापों को दूर करने वाली इस उत्तम एकादशी का व्रत करता है, वह जाति से चांडाल होने पर भी इस लोक में मुझे सदैव प्रिय रहेगा। 

जो मनुष्य चार महीने उपवास करके, दीपक और निराहार रहकर भोजन करते हैं, वे मुझे प्रिय हैं। भगवान विष्णु चारों महीनों में शयन करते हैं, अत: मनुष्य को भूमि पर शयन करना चाहिए। सावन में साग, भादों में दही- दूध और कार्तिक में दाल का त्याग कर देना चाहिए। जो व्यक्ति चारों मासों में ब्रह्मचर्य का पालन करता है, वह परम मोक्ष को प्राप्त करता है। 

हे राजन! एकादशी व्रत करने से मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है। अतः इस व्रत को सदैव करना चाहिए। इसे कभी नहीं भूलना चाहिए। केवल देवशयनी और हरीबोधिनी (देवुत्थान) के बीच की कृष्ण पक्ष की एकादशियाँ ही गृहस्थों के लिए उपयुक्त हैं - अन्य मासों की कृष्ण पक्ष की एकादशियाँ गृहस्थों के लिए उपयुक्त नहीं हैं। शुक्ल पक्ष की सभी एकादशियाँ करनी चाहिए।

17 जुलाई 2024 के दिन देवशनी एकादशी को तुलसी का पौधा लगाया जाता है

12 नवंबर 2024 को देवुत्थान एकादशी युक्त द्वादशी के दिन तुलसी के पौधे का विवाह शालिग्राम के साथ कर दिया जाता है

देवशयनी एकादशी व्रत महत्व

आषाढ़ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को आषाढ़ी एकादशी कहते हैं। इसे देवशयनी एकादशी, हरिशयनी और पद्मनाभ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक के चार महीने हरिशयनी काल माने गए हैं। वर्षा के इन चार महीनों को सम्मिलित रूप से चातुर्मास का नाम दिया गया है। इस काल में जो भी पर्व, व्रत, उपवास, साधना, आराधना, जप और तप किए जाते हैं, उनके विशाल स्वरूप को एक शब्द में 'चातुर्मास्य' कहा जाता है। चातुर्मास से चार महीने की अवधि का बोध होता है और चातुर्मास्य से इस काल में किए जाने वाले सभी व्रत और त्योहारों का समग्र बोध होता है।

 आचार्य दिनेश पाण्डेय शास्त्री (मुम्बई & उत्तराखण्ड)


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