श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को कब श्रीकृष्ण जयंती के नाम से संबोधित किया जाता है जाने शास्त्र पुराणों के अनुसार
स्कन्दपुराण के मतानुसार जो भी व्यक्ति जानकर भी कृष्ण जन्माष्टमी व्रत को नहीं करता, वह मनुष्य जंगल में सर्प और व्याघ्र होता है। ब्रह्मपुराण का कथन है कि कलियुग में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी में अट्ठाइसवें युग में देवकी के पुत्र श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। यदि दिन या रात में कलामात्र भी रोहिणी न हो तो विशेषकर चंद्रमा से मिली हुई रात्रि में इस व्रत को करें। भविष्यपुराण का वचन है- श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में कृष्ण जन्माष्टमी व्रत को जो मनुष्य नहीं करता, वह क्रूर राक्षस होता है। केवल अष्टमी तिथि में ही उपवास करना कहा गया है। यदि वही तिथि रोहिणी नक्षत्र से युक्त हो तो 'जयंती' नाम से संबोधित की जाएगी। वह्निपुराण का वचन है कि कृष्णपक्ष की जन्माष्टमी में यदि एक कला भी रोहिणी नक्षत्र हो तो उसको जयंती नाम से ही संबोधित किया जाएगा। अतः उसमें प्रयत्न से उपवास करना चाहिए।
श्रीकृष्ण-जयन्ती योग 26 अगस्त 2024
अर्धरात्रिव्यापिनी भाद्र. कृष्ण अष्टमी को चन्द्रोदय के समय रोहिणी नक्षत्र से संयोग होने पर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को 'श्रीकृष्ण जयन्ती' के नाम से भी संबोधित किया जाता है। इस वर्ष 26 अगस्त, सोमवार को अर्धरात्रिव्यापिनी चन्द्रोदयकालीन अष्टमी रोहिणीयुता है। अतएव यहाँ 'श्रीकृष्ण जयन्ती' नामक पुण्यतम योग बना है।
जन्माष्टमी पूजा मूहूर्त
भगवान श्री कृष्ण का जन्म वृषभ लग्न और वृषभ राशि में हुआ था जन्म का उत्सव इसी काल में मनाया जाएगा इस साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 26 सितंबर 2024 को 3:39 AM से प्रारम्भ हो रही है। इसका समापन अगले दिन 27 अगस्त 2024 को 02:19 AM पर होगा।
इस बार श्री कृष्ण जी की पूजा का शुभ मुहूर्त मध्य रात्रि 11:51 PM से 12:35 AM, 27 अगस्त तक रहेगा इस अवधि काल में श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
आचार्य दिनेश पाण्डेय शास्त्री (मुम्बई & उत्तराखण्ड)
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