
जया एकादशी व्रत 8 फरवरी 2025
भविष्योत्तर पुराण में भगवान् श्रीकृष्ण और महाराज युधिष्ठिर के संवाद में जया एकादशी का वर्णन आता है। युधिष्ठिर महाराज ने पूछा हे जनार्दन माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का क्या नाम है ? यह व्रत कैसे करें ? किस देवता की पूजा करनी चाहिए ?
भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया, राजेन्द्र! सुनो! माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी कहते है सब पापों का हरण करके मोक्ष देनेवाली यह उत्तम एकादशी व्रत है। जो कोई भी इस व्रत का पालन करेगा उसे पिशाच योनि प्राप्त नहीं होगी, इसलिए प्रयत्नपूर्वक इस 'जया एकादशी' का पालन करना चाहिए। प्राचीन काल में स्वर्ग में देवराज इंद्र का राज था। देवगण अप्सराओंके साथ पारिजात वृक्षसे शोभित नंदनवन में विहार कर रहे थे। पचास करोड गंधवोंके नायक देवराज इंद्रने अपनी इच्छासे वनमें बिहार करते हुए नृत्य का आयोजन किया था। गंधवों में प्रमुख पुष्पदंत, चित्रसेन और उसका पुत्र थे। चित्रसेन की पत्नी का नाम 'मालिनी' था। मालिनी और चित्रसेन की कन्या 'पुष्पवन्ती' थी। पुष्पदन्त गंधर्व का पुत्र 'माल्यवान था। माल्यवान् पुष्पवन्ती के सौंदर्य पर मोहित हुआ था। ये दोनों भी इंद्र की प्रसन्नता के लिए नृत्य करने आए थे । यह दोनों भी अन्य अप्सराओं के साथ आनंद में गायन कर रहे थे। किंतु एक दूसरे पर अनुराग दृष्टि के कारण वे मोहित हो गये और उनका मन विचलित हो गया इससे वे शुद्ध गायन नही कर सके। कभी ताल गलत तो कभी गायन रुकता। इस बातसे क्रोधित और अपमानित होकर इन्द्र ने श्राप दिया, आप दोनो पतित हैं। मूर्ख हैं। तुम्हारा धिक्कार हो। मेरी आज्ञाभंग करने के फलस्वरूप आप पती-पत्नी के रूप में पिशाच योनी में जन्म लेंगे।
इंद्र से ऐसा श्राप मिलते ही दोनो बहुत दुखी हुए। हिमालय में जाकर पिशाच योनि को प्राप्त होकर भयंकर दुख भोगते रहे। शारीरिक पातक से प्राप्त हुई इस योनी से पीडित वे पर्वतकी गुफाएं में भ्रमण कर रहे थे। एक दिन पिशाच पति ने अपनी पत्नी को पूछा, हमने ऐसा कौनसा पाप किया है जिसके लिए हमें ये योनी मिली ? नरक यातनाएं तो दुखदायक है पर पिशाच योनी में भी दुख बहुत भयानक है। इसलिए पूर्ण प्रयत्नसे इस पाप से छुटकारा प्राप्त करना चाहिए।
दोनो चिंतामें मग्न थे। किंतु भगवान की कृपा से उन्हें माघ महीने की एकादशी तिथि प्राप्त हुई। 'जया' नामसे प्रसिद्ध यह तिथि सब तिथि में उत्तम है। इस तिथि को उन्होंने अन्न ग्रहण नही किया, जलग्रहण नहीं किया, किसी जीव की हत्या भी नही की और कोई फल भी नही खाया । दुख से व्याकुल सूर्यास्त तक वे बरगद के वृक्ष के नीचे बैठे रहे । भयानक रात उनके सामने उपस्थित हुई पर उन्हें निद्रा तक नहीं आई। कौनसे भी प्रकार का सुख और कामसुख भी उन्होंने नहीं भोगा । रात्र समाप्त होकर सूर्योदय हुआ। द्वादशी का दिन निकला। उनसे 'जया' एकादशी के व्रत का पालन हुआ था, उन्होंने रातभर जागरण किया था। व्रतके प्रभाव से और भगवान विष्णु की भक्ती के कारण दोनों इस योनि सें मुक्त होकर अपने पूर्व रूप को प्राप्त हुए।
उनके हृदय में फिर से पहले का अनुराग उत्पन्न हुआ। अलंकारसे शोभित होकर विमान में विराजमान होकर स्वर्गलोक में गए। देवराज इंद्र के सामने प्रसन्नतापूर्वक जाकर उन्हें सादर प्रणाम किया। उन्हें पूर्वरूपमें देखकर इंद्रको आश्चर्य हुआ और उन्होंने पूछा, किस पुण्य के प्रभाव से आप पिशाच योनीसे मुक्त हुए ? मुझसे श्राप पाकर भी आप कौन से देवता के पूजन व्रत से शाप मुक्त हो गए ?
माल्यवान ने कहा, हे स्वामी! भगवान् वासुदेव की कृपासे तथा 'जया एकादशी' के व्रत से हम पिशाच योनिसे मुक्त हुए।
देवराज इंद्र ने कहा, अब मेरे कहे अनुसार आप दोनो सुधापान कीजिए। जो लोग भगवान वासुदेव की शरण लेते है और एकादशी का पालन करते है वह हमें भी पूजनीय है।
भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा, हे राजन! इसलिए एकादशी का व्रत करना चाहिए।
हे नृपश्रेष्ठ ! 'जया एकादशी' ब्रह्महत्त्या के पाप से भी मुक्त करती है। जिसने 'जया एकादशी' के व्रत का पालन किया, उसने सभी प्रकार का दान तथा यज्ञाों का अनुष्ठान करने जैसा है फल मिलता हैं। इस जया एकादशी की महिमा पढने अथवा सुनने से अग्निष्टोम यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
आचार्य दिनेश पाण्डेय शास्त्री (मुम्बई & उत्तराखण्ड)
👉 "पूजा पाठ, ग्रह अनुष्ठान, शादी विवाह, पार्थिव शिव पूजन, रुद्राभिषेक, ग्रह प्रवेश, वास्तु शांति, पितृदोष, कालसर्पदोष निवारण इत्यादि के लिए सम्पर्क करें वैदिक ब्राह्मण ज्योतिषाचार्य दिनेश पाण्डेय शास्त्री जी से मोबाइल नम्वर -
+91 9410305042
+91 9411315042
👉 भारतीय हिन्दू त्यौहारों से सम्बन्धित लैटस्ट अपडेट पाने के लिए -
"शिव शक्ति ज्योतिष केन्द्र" व्हाट्सप्प ग्रुप जॉइन करें - यहां क्लिक करें।
"शिव शक्ति ज्योतिष केन्द्र" व्हाट्सप्प चैनल फॉलो करें - यहां क्लिक करें।
आपकी अमूल्य टिप्पणियों हमें उत्साह और ऊर्जा प्रदान करती हैं आपके विचारों और मार्गदर्शन का हम सदैव स्वागत करते हैं, कृपया एक टिप्पणी जरूर लिखें :-