Type Here to Get Search Results !

प्रदोष व्रत कथा 27 मार्च 2025

प्रदोष व्रत कथा 27 मार्च 2025

प्रदोष व्रत भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत प्रत्येक माह के त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। इसमें विशेष रूप से संध्या के समय भगवान शिव की पूजा का महत्व बताया गया है।

प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा

प्राचीन समय की बात है। एक नगर में एक निर्धन ब्राह्मण और उसकी पत्नी निवास करते थे। वे दोनों भगवान शिव के परम भक्त थे और श्रद्धा से प्रत्येक मास की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत करते थे। उनके कठिन तप और शिव भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और आशीर्वाद दिया कि उनकी सभी इच्छाएँ पूर्ण होंगी।

उसी नगर में एक राजा राज्य करता था, जिसे कोई संतान नहीं थी। राजा और रानी संतान सुख प्राप्त करने के लिए अनेक यज्ञ और पूजाएँ कर चुके थे, परंतु कोई फल नहीं मिला। एक दिन राजा शिकार के लिए वन में गया। संयोगवश वह रास्ता भटक गया और अत्यधिक थकान के कारण एक वृक्ष के नीचे विश्राम करने लगा। वहाँ उसने देखा कि एक ब्राह्मण और उसकी पत्नी श्रद्धा से प्रदोष व्रत की पूजा कर रहे थे। राजा ने उनकी पूजा देखी और उनके व्रत के महात्म्य को समझा।

राजा ने ब्राह्मण से इस व्रत के महत्व के बारे में पूछा। ब्राह्मण ने बताया कि जो व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास के साथ प्रदोष व्रत करता है, उसे भगवान शिव की कृपा से सभी सुख-संपत्तियाँ प्राप्त होती हैं। यह सुनकर राजा ने भी प्रदोष व्रत करने का संकल्प लिया।

राजा और रानी ने पूरे विधि-विधान से यह व्रत किया। भगवान शिव उनकी श्रद्धा से प्रसन्न हुए और उन्हें पुत्र रत्न का आशीर्वाद दिया। कुछ समय बाद रानी ने एक तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया। राजा अत्यंत प्रसन्न हुआ और उसने पूरे राज्य में शिव भक्तों के लिए अनेक दान-पुण्य किए।

प्रदोष व्रत का महत्व

यह व्रत करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट होते हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। धन, संतान और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान होता है। जो भी श्रद्धा और भक्ति से इस व्रत को करता है, उसे भगवान शिव की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।

व्रत विधि

  1. व्रती को प्रातः स्नान कर संकल्प लेना चाहिए।

  2. दिनभर उपवास रखना चाहिए और संध्या के समय भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।

  3. शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र और धतूरा अर्पित करें।

  4. प्रदोष काल (सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले और बाद तक) में शिव मंत्रों का जाप करें।

  5. कथा सुनने के बाद आरती करें और प्रसाद ग्रहण करें।

इस प्रकार जो कोई भी सच्चे मन से प्रदोष व्रत करता है, उसे भगवान शिव की अपार कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। 


 आचार्य दिनेश पाण्डेय शास्त्री (मुम्बई & उत्तराखण्ड)


👉 "पूजा पाठ, ग्रह अनुष्ठान, शादी विवाह, पार्थिव शिव पूजन, रुद्राभिषेक, ग्रह प्रवेश, वास्तु शांति, पितृदोष,  कालसर्पदोष निवारण इत्यादि के लिए सम्पर्क करें वैदिक ब्राह्मण ज्योतिषाचार्य दिनेश पाण्डेय शास्त्री जी से मोबाइल नम्वर - 

+91 9410305042  

+91 9411315042 


👉 भारतीय हिन्दू त्यौहारों से सम्बन्धित लैटस्ट अपडेट पाने के लिए -

"शिव शक्ति ज्योतिष केन्द्र" व्हाट्सप्प ग्रुप जॉइन करें - यहां क्लिक करें। 

"शिव शक्ति ज्योतिष केन्द्र" यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें - यहां क्लिक करें। 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad