
सप्ताह के सात दिनों के प्रदोष व्रत का अपना विशेष
महत्व है।
रविवार को प्रदोष व्रत रखते हैं तो आप हमेशा निरोग रहेंगे।
सोमवार का व्रत करने से आपकी मनोकामना पूरी होती है।
मंगलवार को प्रदोष व्रत रखने से आपको रोग से मुक्ति मिलती है और आप
स्वस्थ रहते हैं।
बुधवार के दिन प्रदोष व्रत को करने से सभी प्रकार की कामनाएं सिद्ध
होती हैं।
गुरुवार के प्रदोष व्रत से शत्रु का नाश होता है।
शुक्रवार को प्रदोष व्रत करने से भाग्य उदय होता है।
शनि प्रदोष व्रत को करने से एक पुत्र
प्राप्त होता है।
प्रदोष व्रत कथा
इस व्रत कथा के अनुसार, इंद्र और वृत्तासुर की सेना के बीच भीषण युद्ध
हुआ था। देवताओं ने दानव-सेना को हरा दिया और नष्ट कर दिया। यह देखकर वृत्तासुर
बहुत क्रोधित हुआ और युद्ध स्वयं करने लगा। उन्होंने आसुरी माया से विशाल रूप धारण
कर लिया। सभी देवता डर कर गुरुदेव बृहस्पति की शरण में पहुँचे। बृहस्पति महाराज ने
कहा- पहले मैं आपको वृत्तासुर का वास्तविक परिचय दे दूं। वृतासुर बहुत तपस्वी और
मेहनती है। उन्होंने गंधमादन पर्वत पर घोर तपस्या करके शिव को प्रसन्न किया। पूर्व
में वे चित्ररथ नाम के एक राजा थे। एक बार वे अपने विमान में कैलाश पर्वत गए। माता
पार्वती को शिव के बाएं अंग में बैठा देखकर उन्होंने व्यंग्यपूर्वक कहा - "हे
भगवान! हम मोह में फंसे होने के कारण महिलाओं के प्रभाव में हैं, लेकिन देवलोक में यह नहीं दिख
रहा था कि महिला को गले लगाकर अंदर बैठना चाहिए। सभा। ”चित्ररथ के शब्दों को सुनकर, सर्वव्यापी शिव शंकर हंस पड़े
और कहा,“ हे राजन! मेरा व्यावहारिक
दृष्टिकोण अलग है। मैंने मृत्युदाता कालकूट महाविश का पान किया है, फिर भी एक साधारण व्यक्ति की
तरह मेरा मजाक उड़ाया है! आपने मेरा उपहास किया है माता पार्वती क्रोधित हो
चित्ररथ को संबोधित करती हुई बोली अरे दुष्ट तूने सर्वव्यापी महेश्वर के साथ मेरा
भी उपहास उड़ाया है मैं तुझे श्राप देती हूं तू दैत्य स्वरूप धारण कर विमान से
नीचे गिर जाएगा|
जगदंबा माता भवानी के अभिशाप से चित्ररथ राक्षस योनि को प्राप्त
हुआ और त्वष्टा नामक ऋषि के तप से उत्पन्न हो वृत्तासुर बना| गुरुदेव बृहस्पति आगे बोले
वृत्तासुर बाल्यकाल से ही शिवभक्त रहा है अतः इंद्र
तुम बृहस्पति प्रदोष व्रत रखकर भगवान शंकर को प्रसन्न करो| देवराज इंद्र ने गुरुदेव की
आज्ञा का पालन कर बृहस्पति प्रदोष व्रत किया| गुरु प्रदोष व्रत के प्रभाव से इंद्र ने शीघ्र ही
वृत्तासुर पर विजय प्राप्त कर ली और देव लोक में सुख शांति छा गई अतः प्रदोष व्रत
हर शिव भक्तों को अवश्य करना चाहिए|
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