Type Here to Get Search Results !

आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 5 जुलाई 2020


गुरु पूर्णिमा जुलाई 2020 आषाढ़ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है इस दिन व्यास पूजा होती है अपने अपने गुरुओं का पूजन किया जाता है इस दिन से 4 महीने तक साधु संत एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं और यह 4 महीने मौसम के लिहाज से भी बेहतरीन है नातो बहुत अधिक गर्मी और न ही बहुत अधिक ठंड। इसलिए इसे अध्ययन के लिए उपयुक्त माना जाता है। जिस प्रकार वर्षा ने भूमि को सूर्य की गर्मी से गर्म किया और फसलों को पैदा करने की शक्ति प्रदान कीउसी प्रकार गुरु-चरणों में उपस्थित साधकों को ज्ञानशांतिभक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति है। यह दिन महाभारत के लेखक कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिन भी है। वे संस्कृत के विद्वान थे और उन्होंने चार वेदों की रचना भी की थी। इसी कारण से उन्हें वेद व्यास भी कहा जाता है। उन्हें आदिगुरु कहा जाता है और गुरु पूर्णिमा को उनके सम्मान में व्यास पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है। यह पूर्णिमा गुरु पूर्णिमा के नाम से जगत में विख्यात है। ऐसी ब्रह्मज्ञानी ऋषि मुनि महापुरुषों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का पर्व  है यह गुरु पूर्णिमा जो स्वयं कष्ट सहकर समाज को उन्नति के मार्ग पर ले जाते हैं।

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – जुलाई 2020 को 11:33 AM बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – जुलाई 2020 को 10:13 AM बजे
शास्त्रों मेंगु का अर्थ समझाया गया है - अंधेरे या मूल अज्ञानता और आरयू की व्याख्या की गई है - इसकी रोकथाम। गुरु को गुरु कहा जाता है क्योंकि गुरु ज्ञान से अज्ञान को हटा देता है अर्थात जो अंधकार को दूर करता है और प्रकाश की ओर ले जाता है उसे ही गुरु कहा जाता है

"अज्ञान तिमिरांधश्च ज्ञानांजन शलाकया,चक्षुन्मीलितम तस्मै श्री गुरुवै नमः "
गुरु और देवता के बीच समानता के लिए एक श्लोक में कहा गया है कि भक्ति की आवश्यकता देवता के लिए भी है क्योंकि यह गुरु के लिए भी है। बल्कि सद्गुरु की कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार होना संभव है गुरु कृपा के अभाव में कुछ भी संभव नहीं हो सकता है

गुरु पूर्णिमा की एक घटना का वर्णन मैं आपके सामने प्रस्तुत करने जा रहा हूं एक बार मुनि वर ने भील जाति के एक व्यक्ति को नारियल के पेड़ को झुका कर नारियल तोड़ते हुए देखा व्यास जी इस रहस्य को जानना चाहते थे इसलिए उस व्यक्ति का पीछा किया परंतु व्यास जी के डर या संकोच के कारण वह व्यक्ति उनसे भागते रहा एक दिन मुनिवर व्यास जी  पीछा करते-करते उसके घर तक पहुंच गए परंतु घर पर व्यास जी को उसका पुत्र मिला। व्यास जी के बताने पर वह उस रहस्य मंत्र को बताने को तैयार हो गया। अगले दिन नियम के साथ व्यास जी को मंत्र दे दिया गया जब यह बात उसके पिता को चली उन्होंने कहा बेटा मैं जानबूझकर व्यास जी को मंत्र नहीं देना चाहता थाक्योंकि हम जाति में छोटे हैं और मंत्र देने पर वह गुरु तुल्य हो जाता हैयदि गुरु को मान सम्मान पूज्य नहीं माना गया तो वह मंत्र फलित नहीं होता इसलिए तुम जाओ और व्यास जी की परीक्षा लेकर चले आओ कि तुम्हें मान सम्मान वह देते हैं या नहीं।
अगले ही दिन वह व्यास जी के दरबार में पहुंच गया व्यास जी अपने साथियों के साथ विचार विमर्श कर रहे थेअपने गुरु को आते हुए देखकर व्यास जी दौड़कर उनका पाद पूजन कियायथोचित सम्मान पाकर वह व्यक्ति बड़ा प्रसन्न हुआ तब उसके पिता की सारी दुविधा मिट गई तब से यह गुरु शिष्य की परंपरा व्यास जी को अग्रणीय बनाती है वर्ष में दिन ब्रह्मज्ञानी गुरु को समर्पित किया है जो गुरु पूर्णिमा या ब्यास पूनम के नाम से जाना जाता है।

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

आपकी अमूल्य टिप्पणियों हमें उत्साह और ऊर्जा प्रदान करती हैं आपके विचारों और मार्गदर्शन का हम सदैव स्वागत करते हैं, कृपया एक टिप्पणी जरूर लिखें :-

Top Post Ad

Below Post Ad