
देवभूमि उत्तराखंड आदि कुछ क्षेत्रों में श्रावण माह का पहला सोमवार 20 जुलाई 2020 को पड़ेगा सोमवार के दिन अमावस्या तिथि आ जाने से इस दिन का
महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है अर्थात सोमवती अमावस्या का योग बन जाता है सोमवार को
पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। यह वर्ष में एक या दो बार आती
है। हिंदू धर्म में इस अमावस्या का विशेष महत्व है। इस दिन विवाहित महिलाओं द्वारा
अपने पति की दीर्घायु की कामना के लिए उपवास किया जाता है। इस दिन मौन का व्रत
सहस्र गोदान का फल देता है। शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत के रूप में
भी जाना जाता है। अश्वत्थ का अर्थ है पीपल का पेड़। इस दिन विवाहित महिलाओं के लिए
पीपल के पेड़ की पूजा दूध,
जल, फूल, अक्षत, चंदन आदि से करने का
विधान है सोमवती अमावस्या में किया गया जप, तप, व्रत, दान, पुण्य
और भगवान शिव की उपासना रुद्राभिषेक से अनंत कोटि गुना फल की प्राप्ति होती है|
श्रावण मास के महीने के संबंध में एक प्रचलित की मान्यता है कि
प्राचीन समय में जगत जननी माता सती ने अपने पिता दक्ष के हवन कुंड में अपनी देह
त्याग दी थी और इसके बाद जगत जननी माता देवी ने पर्वत राज हिमालय के यहां पार्वती
के रूप में जन्म लिया था माता पार्वती ने शिवजी को फिर पुन: पति रूप में प्राप्त
करने के लिए श्रावण माह में ही कठोर जब तक किया जगत जननी माता पार्वती की कठोर
तपस्या से प्रसन्न होकर जगतगुरु भगवान शिवजी ने माता पार्वती की मनोकामना पूर्ण की
और माता पार्वती से विवाह कर लिया| इसी वजह
से शिव जी को श्रावण माह विशेष प्रिय माना जाता है|
व्रत
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