
एकादशी भारतीय हिन्दू धर्म का एक प्रमुख (उपवास) व्रत है यह एकादशी
व्रत माह में दो बार आता है पहली पूर्णिमा के बाद और दूसरी अमावस्या के बाद आती है|
पूर्णिमा की बात आने वाली एकादशी हो कृष्ण पक्ष की एकादशी कहा जाता है
और अमावस्या के बाद आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहा जाता है|
साल भर में 24 एकादशी आती हैं कभी-कभी अधिक मास एवं मलमास आ
जाने से इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है जो
भिन्न-भिन्न नामों से जानी जाती है|
हेमाद्री (चतुर्वर्ग चिन्तामणि ) के अनुसार जिनके पुत्र हैं
उन्हें कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत नहीं करना चाहिए|
ग्रहस्थीयों के लिए केवल शुक्ल पक्ष की एकादशी का ही
व्रत करना चाहिए|
हरि अनंत हरि कथा अनंता। कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥
रामचंद्र के चरित सुहाए। कलप कोटि लगि जाहिं न गाए॥
भावार्थ- हरि अनंत हैं (उनका कोई पार नहीं पा सकता है) और हरि की कथा भी अनंत
है। सब संत लोग उन्हें भिन्न-भिन्न नामों
से जानते हैं कहते एवं सुनते हैं। रामचन्द्रजी के सुन्दर चरित्र करोड़ों कल्पों
में भी गाए नहीं जा सकते है इसिके साथ में अपनी लेखनी को यहीं विराम देता हूं|
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