
इस वर्ष पित्रृ पक्ष श्राद्ध 2 सितंबर 2020 से प्रारंभ हो रहे हैं इस दौरान पितृपक्ष के 16 दिनों में श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि कर्म किए जाते हैं और पितरों को प्रसन्न किया जाता है पितृपक्ष का समापन अमावस्या श्राद्ध 17 सितंबर को होगा| धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध में उनके रुचि अनुसार ही पकवान बनाने चाहिए एवं वस्त्र, दान दक्षिणा देनी चाहिए| श्राद्ध में दक्षिणा का विशेष महत्व है|
1 सितंबर 2020 को 9:39 AM से पूर्णिमा
श्राद्ध |
2 सितंबर 2020 से
श्राद्ध पक्ष प्रारंभ
2 सितंबर 2020 को
प्रतिपदा तिथि श्राद्ध
3 सितंबर 2020 को
द्वितीया तिथि श्राद्ध
4 सितंबर 2020 को नित्य तर्पण कर सकते है।
5 सितंबर 2020 को तृतीया तिथि श्राद्ध
6 सितंबर 2020 को चतुर्थी तिथि श्राद्ध
7 सितंबर 2020 को
पञ्चमी तिथि श्राद्ध
8 सितंबर 2020 को
षष्ठी तिथि श्राद्ध
9 सितंबर 2020 को
सप्तमी तिथि श्राद्ध
10 सितंबर 2020 को
अष्टमी तिथि श्राद्ध
11 सितंबर 2020 को नवमी
तिथि श्राद्ध
12 सितंबर 2020 को दशमी
तिथि श्राद्ध
13 सितंबर 2020 को
एकादशी तिथि श्राद्ध
14 सितंबर 2020 को
द्वादशी तिथि श्राद्ध
15 सितंबर 2020 को
त्रयोदशी तिथि श्राद्ध
16 सितंबर 2020 को
चतुर्दशी तिथि श्राद्ध
17 सितंबर 2020 को
सर्वपित्र अमावस्या श्राद्ध
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पित्रृ पक्ष में किस दिन करें श्राद्ध:-
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जिन दिवंगत परिजन की जिस तिथि में मृत्यु हुई हो उसी तिथि में
श्राद्ध करना चाहिए|
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जिन दिवंगत आत्माओं का अकाल मृत्यु हुयी हो या दुर्घटना, आत्महत्या मामला हो तो श्राद्ध चतुर्दशी तिथि के दिन किया
जाता है|
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उत्तराखंड कुमाऊन में प्राचीन काल से परंपरा चली आ रही है की पिता का
श्राद्ध अष्टमी के दिन और माता का श्राद्ध नवमी के दिन किया जाता है|
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यदि सुहागिन महिला की मृत्यु हुई हो तो उसका श्राद्ध नवमी तिथि को ही करना चाहिए|
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सन्यासियों का श्राद्ध दशमी को किया जाता है|
- · अज्ञात दिवंगत परिजनों का श्राद्ध सर्वपितृ अमावस्या के दिन करना चाहिए|
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