
गणेश
चतुर्थी हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्यौहार भारत के विभिन्न हिस्सों में
मनाया जाता है लेकिन महाराष्ट्र में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। पुराणों के
अनुसार इसी दिन गणेशजी का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी पर हिंदू भगवान गणेश की पूजा
की जाती है। कई प्रमुख स्थानों पर भगवान गणेशजी की बड़ी - बड़ी प्रतिमायें स्थापित
की जाती है। इस प्रतिमा की नौ दिनों तक पूजा अर्चना की जाती है। आसपास से बड़ी
संख्या में लोग दर्शन करने पहुंचते हैं। नौ दिनों के बाद गणेश
प्रतिमा को गीतों और वाद्ययंत्रों के साथ तालाब आदि में विसर्जित कर दिया जाता है।
प्रतिष्ठा पूजा मुहूर्त
मध्याह्न गणेश प्रतिष्ठा
पूजा मुहूर्त - 10:56 AM से 01:32 PM
अवधि - 02 घण्टे 36 मिनट्स
गणेश विसर्जन - 1 सितम्बर 2020 को
वर्जित चन्द्रदर्शन का समय- 08:56 AM से 09:15 PM
अवधि - 12 घण्टे 19 मिनट्स
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – 21 अगस्त 2020 को 11:02 PM बजे
गणेश
चतुर्थी कथा
शिवपुराण
के अंतर्गत, रुद्रसंहिता
के चतुर्थ (कुमार) खंड में वर्णन है कि देवी पार्वती ने स्नान करने से
पूर्व अपनी मैल से एक बालक को उत्पन्न करके उसे अपना द्वार पाल बना
दिया। भोलेनाथ जी ने जब प्रवेश करना चाहा तब उस बालक ने
भोलेनाथ जी को रोक दिया। इस पर शिव ने बालक के साथ जमकर युद्ध किया लेकिन
कोई भी उसे युद्ध में नहीं हरा सका। अंतत: भगवान शंकर क्रोधित हो गए और अपने
त्रिशूल से उस बालक का सिर काट दिया। इससे भगवती शिवा क्रोधित हो गयी और उन्होंने
प्रलय करने का निश्चय किया। भयभीत देवताओं ने देवर्षि
नारदजी की सलाह पर भगवती की
स्तुति करके उन्हें शांत किया। शिव के निर्देश पर विष्णुजी
ने उत्तर दिशा में सबसे पहले मिले जीव गज का सिर काट कर ले आए। मृत्युंजय
रुद्र ने (गज) हाथी के उस मस्तक को बालक के धड पर रख कर उसे पुनर्जीवित कर दिया। माता
पार्वती ने उस गज मुख वाले बालक को अपने हृदय से लगा लिया और समस्त देवताओं में
अग्रणी होने का गज मुख वाले बालक को आशीर्वाद दिया। ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने
गज मुख वाले बालक को सर्वाध्यक्ष घोषित करके अग्रपूज्य होने का वरदान दिया। भगवान
शंकर ने बालक से कहा - गिरजानन्दन! बाधाओं को नष्ट करने में आपका नाम सर्वोपरि
होगा। सभी के उपासक बनो और मेरे सभी गणों के अध्यक्ष बनो। गणेश्वर तुम्हारा जन्म
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी
को चंद्रमा के उदित होने पर उत्पन्न हुआ है। इस तिथि
को व्रत करने वाले के सभी विघ्नों का नाश होगा और उसे सभी सिद्धियां प्राप्त
होंगी। कृष्ण पक्ष चतुर्थी
की रात को चंद्रोदय
के समय गणेश जी की पूजा अर्चना करने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर ब्राह्मण को
मीठा भोजन कराना चाहिए। उसके बाद स्वयं मीठा भोजन करें। श्री गणेश चतुर्थी के दिन
व्रत रखने वाले व्यक्ति की मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं।
चंद्र
दर्शन दोष से बचाव
प्रत्येक
शुक्ल पक्ष चतुर्थी को चंद्रदर्शन के बाद व्रती को आहार लेने का निर्देश है इससे
पहले नहीं। लेकिन भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर रात में चंद्रमा (चंद्रमा
को देखना) निषिद्ध है।
भाद्रपद
शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को रात में चांद देखने वाले लोगों को एक झूठा कलंक
लगता है। ऐसा शास्त्रों का निर्देश है। यह अनुभूत भी है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण पर स्यामंत नाम का एक कीमती रत्न चुराने
का झूठा आरोप लगाया गया था। भगवान कृष्ण की स्थिति को झूठे आरोप में लिप्त देखकर नारद ऋषि ने उन्हें बताया कि भगवान कृष्ण ने भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी
के दिन चंद्रमा को देखा था जिसके कारण वह झूठे होने का शाप मिला है।
यदि जाने अनजाने में भी
चन्द्रमा दिख जाए तो निम्न मंत्र का यथा शक्ति पाठ करना चाहिए-
सिंहः
प्रसेनम् अवधीत् सिंहो
जाम्बवता हतः।
सुकुमारक
मा रोदीस्तव ह्येष स्वमन्तकः॥
नोट - मैंने
इस पोस्ट में लिखने की शैली में थोड़ा बदलाव किया है क्योंकि गूगल पर गणेश चतुर्थी
के विषय पर कथा आदि वर्णन पहले से ही उपलब्ध है|
मेरी
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