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भाद्रपद शुक्ल परिवर्तिनी एकादशी व्रत 29 अगस्त 2020


युधिष्ठिर ने कहा "हे भगवान! भाद्रपद शुक्ल एकादशी का नाम क्या है? कृपया इसकी विधि और इसकी महानता कहें। तब भगवान कृष्ण कहने लगे कि परिवर्तिनी एकादशी के पुण्य के बारे में ध्यान से सुनना चाहिए जिससे पुण्य स्वर्ग और मोक्ष मिलता है।" सभी पापों से मुक्ति के लिए पद्मा (परिवर्तिनी) एकादशी व्रत अवश्य करना चाहिए।



29 अगस्त 2020 शनिवार
परिवर्तिनी एकादशी
भाद्रपदशुक्ल एकादशी
प्रारम्भ - 28 अगस्त - 08:37 AM 
समाप्त - 29 अगस्त - 08:16 AM 

यह परिवर्तिनी एकादशी पद्मा एकादशी के नाम से भी जानी जाती  है। इस परिवर्तिनी एकादशी का व्रत लेने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। पापियों के पाप का नाश करने के लिए इस परिवर्तिनी एकादशी से बढ़कर कोई अन्य उपाय नहीं। जो कोई भी मनुष्य इस पद्मा एकादशी के दिन मेरा वामन रूप की पूजा करेगा है वह तीनों लोकों में पुजनीय होगा। अत: मोक्ष की इच्छा करने वाले मनुष्य को इस परिवर्तिनी एकादशी व्रत अवश्य करना चाहिए। जो ब्यक्ति कमलनयन भगवान का कमल पुष्पों से पूजन करते हैं वे अवश्य ही भगवान के समीप जाते हैं। जिसने भाद्रपद शुक्ल एकादशी को व्रत और पूजन किया उसने ब्रह्मा, विष्णु सहित तीनों लोकों का पूजन किया। अत: मोक्ष की इच्छा करने वाले मनुष्य को यह परिवर्तिनी एकादशी व्रत अवश्य करना चाहिए। इस दिन भगवान करवट लेते हैं इसलिए इसको परिवर्तिनी एकादशी भी कहते हैं।
भगवान के वचन सुनकर युधिष्ठिर बोले कि भगवान! मुझे अतिसंदेह हो रहा है कि आप किस प्रकार से सयन और करवट लेते हो तथा किस तरह आपने राजा बलि को बांधा और वामन रूप धारण कर के क्या-क्या लीलाएं रची ? चातुर्मास के व्रत की क्या ‍विधि है तथा आपके शयन करने पर मनुष्य का क्या कर्तव्य होना चाहिए। सो आप मुझे विस्तार से बताइए।
श्री कृष्ण कहने लगे कि हे राजन! अब उस कथा को सुनो जो सभी पापों का नाश करती है। त्रेतायुग में बाली नामक एक राक्षस था। वह मेरा परम भक्त था। विभिन्न प्रकार के वेद मंत्रों और भजनों से मेरा पूजन करता था और नियमित रूप से ब्राह्मणों की पूजा और यज्ञ भी करता था लेकिन इंद्र की ईर्ष्या के कारण उसने इंद्रलोक और सभी देवताओं पर विजय प्राप्त की।
इस वजह से सभी देवता एकत्रित हो गए और विचारपूर्वक भगवान के पास गए। इंद्र बृहस्पति के साथ वेद मंत्रों के साथ भगवान की पूजा अर्चना और स्तुति करने लगे। अत: मैंने जनकल्याण के लिए वामन रूप धारण किया और पांचवां अवतार लिया फिर अत्यंत तेजस्वी रूप से राजा बलि को जीत लिया।

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