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नरक चतुर्दशी 14 नवंबर 2020 तिथि निर्णय

नरक चतुर्दशी 14 नवंबर 2020 तिथि निर्णय

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी ' नरक –चतुर्दशी ' कहलाती है । दो विभिन्न मान्यताओं के अनुसार चन्द्रोदयव्यापिनी अथवा अरुणोदयव्यापिनी कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन ' नरक - चतुर्दशी ' मनाई जाती है । इस दिन सूर्योदय से पहले चन्द्रोदय होने पर अथवा अरुणोदय से पूर्व प्रत्यूषकाल में स्नान करने से मनुष्य को यमलोक का दर्शन नहीं करना पड़ता । यद्यपि कार्तिक मास में तेल नहीं लगाना चाहिए , फिर भी इस तिथि विशेष को शरीर में तेल लगाकर ( तैलाभ्यंग ) स्नान करना चाहिए । जिस दिन अरुणोदय काल या चन्द्रोदय के समय चतुर्दशी हो , उसी दिन तैलाभ्यंग करना चाहिए । इस वर्ष 14 नवम्बर, 2020 . को चंद्रोदयी व्यापिनी एवं ( पूर्व अरुणोदयाव्यापिनी चतुर्दशी होने के कारण इसी दिन नरक - चतुर्दशी मनाई जाएगी ।

शास्त्रों में मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन प्रातःकाल तेल लगाकर अपामार्ग (चिचड़ी) की पत्तियाँ को जल में डालकर स्नान करने से मनुष्य को नरक से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन सायं काल को विधि-विधान से यमराज की पूजा अर्चना एवं दीपदान करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और स्वर्ग को प्राप्त करते हैं।

पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान कृष्ण ने एक दैत्य नरकासुर का संहार किया था। इस दिन  सूर्योदय से  पूर्व उठकर स्नान, संध्या उपासना करके  यमराज का तर्पण करके तीन अंजलि जल अर्पित करने का शास्त्रों में विधान है। सायं काल के समय यमराज के निमित्य दीपदान करने की प्रथा प्रचलित है|

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