दीपावली २०२० महालक्ष्मी पूजा मुहूर्त
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diwali-2020 |
ब्रह्मपुराण अनुसार
कार्तिक मास की अमावस्या को अर्धरात्रि के समय लक्ष्मी महारानी सद्गृहस्थों के घर
में जहाँ - तहाँ विचरण करती हैं। इसलिए अपने घर को सब प्रकार से स्वच्छ शुद्ध और
सुभोभित करके दीपावली तथा दीपमालिका मनाने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होते हैं तथा वहाँ
स्थायी रूप से निवास करती हैं। यह अमावस्या प्रदोषकाल
एवं अर्धरात्रि - व्यापिनी हो, विशेष रूप से शुभ होती है।
प्रस्तुत वर्ष कार्तिक अमावस 14 नवम्बर, शनिवार, 2020 ई. को दोपहर 14 घंटे- 17 मि. अपराह्न, सायाह्न, प्रदोष निशीथ, महानिशीथ व्यापिनी होगी। अमावस्या तिथि प्रारंभ 14 नवंबर 2020 को 2:17 PM से अमावस्या तिथि समाप्त 15 नवंबर 2020 को 10:36 AM तक। अतः दीपावली पर्व '14 नवम्बर शनिवार, 2020 ई. को ही होगा।
दीपावली पर इस वर्ष तीन बड़े ग्रहों का अति दुर्लभ योग 499 वर्ष बाद पुनः बन रहा है
2020 से
पहले 1521 में गुरु, शुक्र और शनि का यह अद्भुत योग बना था। उस समय 9 नवंबर को दीपावली मनाई गई थी। गुरु और शनि
व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को अत्यधिक मजबूत करने वाले कारक ग्रह माने जाते हैं। ये
दो ग्रह इस वर्ष दीपावली पर अपनी राशि में होने से धन धान्य संबंधी कामों में कोई
बड़ी उपलब्धि हासिल करने का उत्तम समय रहेगा।
इस वर्ष 2020 में शनिवार 14
नवंबर को दीपावली बड़ी धूमधाम से मनाई जाएगी इस वर्ष यह पर्व शनिवार को आने से
तंत्र-मंत्र के लिए खास रहेगा इस दीपावली पर गुरु अपनी राशी धनु में और शनि अपनी
राशि मकर में रहेंगे और शुक्र ग्रह कन्या राशि में नीच का रहेगा।
दीपावली पर
देवी लक्ष्मी जी के साथ श्री यंत्र की भी पूजा करने की परंपरा चली आ रही है इस
वर्ष गुरु धनु राशि में स्थित रहेंगे ऐसे शुभ स्थिति में श्री यंत्र का पूरी रात
कच्चे दूध से श्री सूक्त से रुद्राभिषेक करना बहुत अधिक शुभ रहेगा।
शनि अपनी राशि
मकर में रहने से एवं शनिवार और अमावस्या का योग भी बन रहा है इस योग में दीपावली
पर तंत्र मंत्र यंत्र पूजा करने से अति शुभ योग।
दीपावली महालक्ष्मी पूजा शुभ मुहूर्त 14 नवंबर 2020
अल्मोड़ा,
उत्तराखंड के अनुसार
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - 05:17 PM से 07:12 PM
अवधि - 01 घण्टा 55 मिनट्स
प्रदोष काल - 05:16 PM से 07:56 PM
वृषभ काल - 05:17 PM से 07:12 PM
अमावस्या तिथि प्रारम्भ – 14 नवम्बर
2020 को 02:17 PM से
अमावस्या तिथि समाप्त – 15 नवम्बर 2020 को 10:36 AM तक
रामनगर,
उत्तराखंड के अनुसार
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - 05:19 PM से 07:14 PM
अवधि - 01 घण्टा 55 मिनट्स
प्रदोष काल - 05:19 PM से 07:59 PM
वृषभ काल - 05:19 PM से 07:14 PM
अमावस्या तिथि प्रारम्भ – 14 नवम्बर
2020 को 02:17 PM से
अमावस्या तिथि समाप्त – 15 नवम्बर 2020 को 10:36 AM तक
दिल्ली के अनुसार
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - 05:28 PM से 07:24 PM
अवधि - 01 घण्टा 56 मिनट्स
प्रदोष काल - 05:28 PM से 08:07 PM
वृषभ काल - 05:28 PM से 07:24 PM
अमावस्या तिथि प्रारम्भ – 14 नवम्बर
2020 को 02:17 PM से
अमावस्या तिथि समाप्त – 15 नवम्बर 2020 को 10:36 AM तक
मुम्बई के अनुसार
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - 06:01 PM से 08:01 PM
अवधि - 02 घण्टा 00 मिनट्स
प्रदोष काल - 06:00 PM से 08:33 PM
वृषभ काल - 06:01 PM से 08:01 PM
अमावस्या तिथि प्रारम्भ – 14 नवम्बर
2020 को 02:17 PM से
अमावस्या तिथि समाप्त – 15 नवम्बर 2020 को 10:36 AM तक
विशेष
कृत्य - इस दिन प्रातः ब्राह्ममुहूर्त में उठकर दैनिक कृत्यों से
निवृत्त हो पितृगण तथा देवताओं का पूजन करना चाहिए । सम्भव हो तो दूध , दही और घृत से
पितरों का पार्वण श्राद्ध करना चाहिए । यदि यह सम्भव हो तो दिन भर उपवास कर गोधूलि
वेला में अथवा सिंह वृश्चिक आदि स्थिर लग्न में श्रीगणेश , कलश , षोडशमातृका एवं
ग्रहपूजनपूर्वक भगवती लक्ष्मी का षोडशोपचार - पूजन करना चाहिए । इसके अनन्तर
महाकाली का दावात के रूप महासरस्वती का कलम , बही आदि के रूप में तथा कुबेर का तुला के रूप में सविधि
करना चाहिए । इसी समय दीपपूजन कर यमराज तथा पितृगणों के निमित्त ससंकल्प दीपदान
करना चाहिए । तदोपरान्त यथोलब्ध निशीथादि शुभ मुहूर्तों में मन्त्र - जप, यन्त्र - सिद्धि
अनुष्ठान सम्पादित करने चाहिए।
दीपावली वास्तव में पाँच
पर्वो का महोत्सव माना जाता है , जिसकी व्याप्ति कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी ( धनतेरस ) से
कार्तिक शुक्ल द्वितीया ( भाई - दूज ) तक रहती है । दीपावली के पर्व धन की प्रभूत
प्राप्ति के लिए धन की अधिष्ठात्री धनदा भगवती लक्ष्मी का समारोहपूर्वक आवाहन , षोडशोपचार सहित
पूजा की जाती है । आगे दिए गए निर्दिष्ट शुभ कालों में किसी स्वच्छ एवं पवित्र
स्थान पर आटा , हल्दी , अक्षत एवं
पुष्पादि से अष्टदल कमल बनाकर श्रीलक्ष्मी का आवाहन एवं स्थापना करके देवों की
विधिवत पूजार्चना करनी चाहिए ।
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आवाहन मन्त्र - 'कां
सोस्मितां हिरण्यप्राकारामानॊ ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् ।
पोस्थितां
पद्मवर्णा तामिहोप ह्वये श्रियम् ।। ( श्रीसूक्तम् ) ।
पूजा मन्त्र- ॐ गं गणपतये नमः ।। लक्ष्म्यै नमः ।। नमस्ते सर्वदेवानां
वरदासि हरे: प्रिया। या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां सा मे भूयात्त्वदर्चनात् ।।' से लक्ष्मी 'एरावतसमारूढो वज्रहस्तो महाबलः । शतयज्ञाधिपो
देवस्तस्मा इन्द्राय ते नमः । ' मन्त्र से इन्द्र और कुबेर की मन्त्र से पूजा करें-
'कुबेराय नमः, धनदाय
नमस्तुभ्यं निधपद्माधिपाय च ।
भवन्तु
त्वत्प्रसादान्मे धनधान्यादि सम्पदः ।।
पूजन सामग्री में विभिन्न
प्रकार की मिठाई , फल - पुष्पाक्षत , दीपादि सुगन्धित
वस्तुएं सम्मिलित करनी चाहिए । दीपावली पूजन में प्रदोष , निशीथ एवं
महानिशीथ काल अतिरिक्त चौघड़ियां मुहूर्त भी पूजन , बही - खाता पूजन , कुबेर - पूजा , जपादि अनुष्ठान
की दृष्टि से विशेष प्रशस्त एवं शुभ माने जाते हैं।
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