चैत्र नवरात्र घटस्थापना का शुभ मुहूर्त

13 अप्रैल 2021 चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ हो रही है हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व माना गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसी दिन से हिंदू नव वर्ष यानि कि नव सम्वत्सर की भी शुरुआत होती है। इस पर्व को शक्ति की उपासना के तौर पर भी देखा जाता है। इस दौरान मां दुर्गा की आराधना की जाती है।
आप सभी को चैत्र नवरात्रि एवं हिंदू नव वर्ष की
बहुत-बहुत शुभकामनाएं|
इस नवरात्रि मां दुर्गा का आगमन घोड़े पर हो रहा
है जबकि प्रस्थान नर वाहन (मानव कंधे) पर होगा|
कलश घटस्थापना मुहूर्त
घटस्थापना मुहूर्त - 05:47 AM से 10:04 AM
अवधि - 04 घण्टे 17 मिनट्स
घटस्थापना अभिजित मुहूर्त - 11:46 AM से 12:38 PM
अवधि - 00 घण्टे 51 मिनट्स
प्रतिपदा तिथि
प्रारम्भ - 12 अप्रैल 2021 को 08:00 AM से
प्रतिपदा तिथि
समाप्त – 13 अप्रैल 2021 को 10:16 AM तक
मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा अर्चना के साथ ही व्रत भी किए जाते हैं नवरात्रि का पहला दिन घटस्थापना से शुरू होता है।
13 अप्रैल 2021 प्रतिपदा शैलपुत्री
पूजा
14 अप्रैल 2021 द्वितीया ब्रह्मचारिणी
पूजा
15 अप्रैल 2021 तृतीया चन्द्रघन्टा पूजा
16 अप्रैल 2021 चतुर्थी कुष्माण्डा
पूजा
17 अप्रैल 2021 पञ्चमी स्कन्दमाता पूजा
18 अप्रैल 2021 षष्ठी कात्यायनी पूजा
19 अप्रैल 2021 सप्तमी कालरात्रि पूजा
20 अप्रैल 2021 अष्टमी महागौरी पूजा
21 अप्रैल 2021 नवमी सिद्विदात्री पूजा
22 अप्रैल 2021 दशमी नवरात्रि पारण
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हिन्दू नववर्ष नव-संवत्सर २०७८ का महत्व एवं संवत्सर फल

चैत शुक्ल प्रतिपदा गुडी पडवा त्यौहार तथा चैत नवरात्रि एवं हिंदू नव वर्ष संवत 2078 का शुभारम्भ 13 अप्रैल 2021 से राक्षस सम्वत्सर प्रारंभ हो रहा है। राक्षस संवत्सर के फलस्वरुप जनता में दुःख व क्लेशमय की अनुभूति राक्षस संवत्सर से ही स्पष्ट होता है ।
आप सभी को नव संवत्सर (हिंदूनव वर्ष) की हार्दिक शुभकामनाएँ, आपका जीवन आरोग्यमय, सुखमय, आनन्दमय, यश - -स्मृद्धि, धन - धान्य से परिपूर्ण रहे।
हिंदू ग्रंथों के अनुसार पुराणों में कुल 60 संवत्सरों का जिक्र है। इसके मुताबिक़ नवसंवत्सर यानी नवसंवत्सर 2078 का नाम आनंद होना चाहिए था। लेकिन ग्रहों के कुछ ऐसे योग बन रहे हैं जिसकी वजह से इस हिन्दू नववर्ष का नाम 'राक्षस' होगा।
भैरव भवानी संवाद
भैरव प्रश्न
भैरव पुछणि मातु हणि , तुम बताओ य बर्षक हाल|
संवत अठत्तर सालक , कै छ भल - नौक हाल|
भवानी उत्तर
सुणि लियौ भैरव जी , मै तुमुकै आज समझानू|
राजा - मंत्री बनि गई भौम जू , चारो ओर उपद्रव ही ह्यल|
अग्नि काण्ड व चोरुक डर, विमारी लै संसार पिडित रहल|
आषाढ में दयौ झड़ रहलि , शौण में जाड़ लै हवल|
भादौ माह मैजि रवि कुंज , योगल खीचा खीच रलि|
लेकिन तुम डरिया झन , फल दिणी द्विजराज छैन|
और धन्य धान्य योग ल , तुमर सब काम सिद्ध लै हवल|
भावार्थ - नववर्ष का शुभारम्भ मंगलवार से हो रहा है । अत : राजा- मंगल , मंत्री- मंगल , सस्येश - शुक्र , धनेश मेघेश- चन्द्र . रसेश- सूर्य , नीरसेश- शुक्र , फलेश चंद्र तथा धन का रक्षक गुरु व दुर्गेश मन का कारक चन्द्रमा है । इस वर्ष राजा मंगल होने से युद्ध , अग्निकाण्ड , विस्फोट , प्राकृतिक आपदा , उप्रवाद आदि का भय रहेगा । जौ , चना मसूर आदि अनाजो के फसलो को क्षति पहूँच सकती है । गेहूँ , ईख , चावल आदि की फसलें अच्छी होगी कहीं वर्षा कम तथा कहीं बाढ़ की स्थिति वनती नजर आ रही है , दूध , घी की मात्रा कम होने से भावों में वृद्धि हो सकती है , सोना , आभूषण , वत्र महंगे होंगे , लोगो में ईमानदारी तथा व्यापारी वर्ग में संतुष्टी होगी । माओवादी अन्य उग्रवादी हिंसक गतिविधियों के कारण झारखण्ड , छत्तीसगढ़ , बिहार , महाराष्ट्र , उड़ीसा , आसाम आदि राज्यों में हिंसक घटनाएं घट सकती हैं।
हिन्दू नववर्ष चैत्र प्रतिपदा का धार्मिक महत्व
हेमाद्रि के ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा के दिन ही सूर्योदय के समय ब्रह्मा जी ने पृथ्वी की रचना की थी। यही मुख्य कारण है कि, पंचांग अनुसार हर वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा अर्थात प्रथम तिथि के साथ ही, हिन्दू नव वर्ष का प्रारंभ भी होता है और इसी दिन से नया संवत्सर लागू होता है।






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