Type Here to Get Search Results !

चीरबंधन 24 मार्च को होगा 28 मार्च को किया जाएगा होलिकादहन

चीरबंधन 24 मार्च को होगा  28 मार्च को किया जाएगा  होलिकादहन

   
इस वर्ष 21 मार्च 2021 से 28 मार्च 2021 के मध्य होलिका अष्टक पर्व रहेगा|

 

24 मार्च 2021 को 10:24 AM के बाद चीर बंधन और होली का ध्वजारोहण, रंग धारण किया जाएगा

 

28 मार्च 2021 को होलिका दहन 06:27 PM से 8:47 PM तक किया जाएगा|

 

29 मार्च 2021 को रंगों वाली होली, छलडी खेली जाएगी|

 

चीर बंधन ध्वजारोहण

कुमाऊं के इतिहास में उल्लेख मिलता है कि बहुत से गांव में विभिन्न जातियों और वर्गों के लोग रहते है वहां उनके अपने अपने चीर बंधन अर्थात चीर वृक्ष स्थापित किए जाते थे|

कुमाऊं के इतिहास के अनुसार चीर बंधन:- गांव के चौराहों पर लकड़ियां एकत्रित की जाती है इसके बीच में वृक्ष रोपित किया जाता है जिसे चीरवृक्ष कहते हैं इस वृक्ष पर ध्वजा बांध दिया जाता है| इस प्रक्रिया को चीर बंधन कहा जाता है|

इसमें कई बार एक वर्ग के द्वारा आरोपित चीर को रात में चोरी से अपहरण करने का प्रयास भी किया जाता है अतः कभी-कभी गांव के युवक रातभर होली गाते हुए उस पर दृष्टि रखते हैं क्योंकि किसी अन्य वर्ग के लोगों के द्वारा चीर का अपहरण कर लिए जाने पर उस वर्ग के लोग तब तक होली की चीर का पुनः आरोपण नहीं कर सकते जब तक कि वह इस प्रकार से गुप्त रूप से किसी अन्य पक्ष की चीर का अपहरण करने में सफल ना हो जाए चीर वृक्ष का हरण उस वर्ग के लोगों के लिए अमंगल दायक समझा जाता हैअतः चीर वृक्ष अर्थात चीर बंधन का सुरक्षा अति आवश्यक है|

यह पोस्ट भी पढ़े :-


होलिका दहन कथा एवं मुहूर्त 28 मार्च 2021


चीर बंधन अर्थात चीर वृक्षारोपण के साथ ही खड़ी होली का आरंभ हो जाता है जो कि होलिका दहन कब चलता है कीर बंधन के उपरांत भक्ति रस पूर्ण होली गीत गाए जाते हैं सर्वप्रथम गणपति वंदना की जाती है|

अगले दिन से खड़ी होली के लिए होली गायकों की टोलियां ढोल नगाड़े आदि वाद्य यंत्रों के साथ चांदनी रातों में गाते नाचते हुए घर-घर जाकर उनके प्रांगण में एक गोल घेरे में खड़े होकर ढोल वादक यंत्रों के साथ बीच में खड़ा होकर होली के गीत गाए जाते हैं नेट उपरांत कुमाऊंनी खड़ी होली में गाए जाने वाले बहु प्रचलित लोकप्रिय गीतों की बारी आती है वैसे तो इन दिनों का मुख्य विषय होता है ब्रज भूमि तथा राधा कृष्ण के प्रेम प्रसंग का किंतु भगवान राम के गणपति आदि से एवं पति - पत्नी, देवर - भाभी, ऋतु - मांस आदि से संबंधित गीत भी गाए जाते हैं|

होली नृत्य गानों के बीच घर के बालकों वह महिलाओं द्वारा होली गायकों के ऊपर रंगों की बौछार की जाती रहती है अंत में मंगल कामनात्मक गीतों के साथ होली गान को समाप्त किया जाता है|

 होलिका दहन कथा एवं मुहूर्त 28 मार्च 2021


होलिका दहन हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है जिसमें होली के एक दिन पहले यानी फाल्गुन पूर्णिमा को संध्या के समय होलिका का सांकेतिक रूप से दहन किया जाता है होलीका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व के रूप में मनाया जाता है|

होलिका दहन के मुहूर्त के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिये -

भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि, होलिका दहन के लिये उत्तम मानी जाती है। यदि भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा का अभाव हो परन्तु भद्रा मध्य रात्रि से पहले ही समाप्त हो जाए तो प्रदोष के पश्चात जब भद्रा समाप्त हो तब होलिका दहन करना चाहिये। यदि भद्रा मध्य रात्रि तक व्याप्त हो तो ऐसी परिस्थिति में भद्रा पूँछ के दौरान होलिका दहन किया जा सकता है। परन्तु भद्रा मुख में होलिका दहन कदाचित नहीं करना चाहिये। धर्मसिन्धु में भी इस मान्यता का समर्थन किया गया है। धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार भद्रा मुख में किया होली दहन अनिष्ट का स्वागत करने के जैसा है जिसका परिणाम न केवल दहन करने वाले को बल्कि शहर और देशवासियों को भी भुगतना पड़ सकता है। किसी-किसी साल भद्रा पूँछ प्रदोष के बाद और मध्य रात्रि के बीच व्याप्त ही नहीं होती तो ऐसी स्थिति में प्रदोष के समय होलिका दहन किया जा सकता है। कभी दुर्लभ स्थिति में यदि प्रदोष और भद्रा पूँछ दोनों में ही होलिका दहन सम्भव न हो तो प्रदोष के पश्चात होलिका दहन करना चाहिये।

होलिका दहन का मुहूर्त किसी त्यौहार के मुहूर्त से ज्यादा महवपूर्ण और आवश्यक है। यदि किसी अन्य त्यौहार की पूजा उपयुक्त समय पर न की जाये तो मात्र पूजा के लाभ से वञ्चित होना पड़ेगा परन्तु होलिका दहन की पूजा अगर अनुपयुक्त समय पर हो जाये तो यह दुर्भाग्य और पीड़ा देती है।

इस पृष्ठ पर दिया मुहूर्त धर्म-शास्त्रों के अनुसार निर्धारित है। हम होलिका दहन के श्रेष्ठ मुहूर्त को प्रदान कराते हैं। इस पृष्ठ पर दिया मुहूर्त हमेशा भद्रा मुख का त्याग करके निर्धारित होता है क्योंकि भद्रा मुख में होलिका दहन सर्वसम्मति से वर्जित है। होलिका दहन के साथ-साथ इस पृष्ठ पर भद्रा मुख और भद्रा पूँछ का समय भी दिया गया है जिससे भद्रा मुख में होलिका दहन से बचा जा सके। यदि भद्रा पूँछ प्रदोष से पहले और मध्य रात्रि के पश्चात व्याप्त हो तो उसे होलिका दहन के लिये नहीं लिया जा सकता क्योंकि होलिका दहन का मुहूर्त सूर्यास्त और मध्य रात्रि के बीच ही निर्धारित किया जाता है।

होलिका दहन मुहूर्त 28 मार्च 2021 

होलिका दहन मुहूर्त - 06:27 PM  से 08:47 PM

अवधि - 02 घण्टे 19 मिनट्स

भद्रा पूँछ - 10:13 AM से 11:16 AM

भद्रा मुख - 11:16 AM से 01:00 PM

होलिका दहन प्रदोष के दौरान उदय व्यापिनी पूर्णिमा के साथ

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – 28 मार्च 2021 को 03:27 AM बजे

पूर्णिमा तिथि समाप्त -29  मार्च 2021 को 12:17 AM बजे

होलिका दहन पर प्रमुख कथा

प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था पिता के लाख कहने के बावजूद पहलाद विष्णु की भक्ति करता रहता था और आसुर पुत्र होने के बावजूद नारद मुनि की शिक्षा के परिणाम स्वरूप प्रह्लाद महान नारायण भक्त था असुराधिपति हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को मारने की कई बार कोशिश की परंतु भगवान विष्णु जी की असीम कृपा से हिरण्यकश्यप प्रह्लाद का बाल भी बांका नहीं कर सके असुर राजा की बहन होलिका को भगवान शंकर से ऐसी चादर मिली थी जिसे ओढने से अग्नि उसे जला नहीं सकती थी होलिका उस चादर को ओढ़कर प्रह्लाद को गोद में लेकर जलती हुई आग की चिता पर बैठ गई दैवयोग से होलिका जल गई और प्रह्लाद का बाल भी बांका नहीं हुआ इस प्रकार हिंदुओं के कई अन्य पर्वों की भांति ही होलिका दहन भी बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है|

भारतीय त्योहारों से संबंधित ताजा अपडेट पाने के लिए हमारे व्हाट्सएप एवं टेलीग्राम ग्रुप ज्वाइन करें

व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करें

टेलीग्राम ग्रुप ज्वाइन करें

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad