गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की करें पूजा होगा विशेष लाभ

हिंदू धर्म में गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व होता है इस गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक और सात्विक
दोनों प्रकार की पूजा की जाती है पंचांग के अनुसार हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष
की प्रतिपदा से आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि शुरू होती है साल 2021 में आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि 11 जुलाई दिन रविवार से शुरू होगी जो कि 18 जुलाई 2021 दिन रविवार को
समाप्त होगी विशेषत: गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के साथ तांत्रिक 10 महाविद्याओं को प्रसन्न करने के लिए पूजा अर्चना
की जाती है।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त
आषाढ़ घटस्थापना रविवार 11जुलाई 2021 को
घटस्थापना
मुहूर्त - 05:19 AM से 07:47 AM
अवधि - 02 घण्टे 27 मिनट्स
घटस्थापना अभिजित
मुहूर्त - 11:49 AM से 12:45 PM
अवधि - 00 घण्टे 56 मिनट्स
घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर
है।
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - 10 जुलाई 2021 को 06:46 AM बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त - 11 जुलाई 2021 को 07:47 AM बजे
तांत्रिक पूजा के लिए गुप्त नवरात्रियों का महत्व चैत्र और शारदीय
नवरात्रियों से अधिक होता है इन गुप्त नवरात्रियों में भी आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का
तंत्र - मंत्र और सिद्धि - साधना आदि के लिए विशेष महत्व होता है गुप्त नवरात्रि
में व्यक्ति 10 महाविद्याओं का ध्यान - साधना करके दुर्लभ
शक्तियों की प्राप्ति करता है ऐसी मान्यता है कि तंत्र मंत्र की सिद्धि के लिए
इस समय की गई साधना शीघ्र फलदायी होती है इस नवरात्रि में साधक मां आदिशक्ति की
दस महाविद्याओं की पूजा गुप्त रूप से करते हैं
मान्यता है कि इस समय विधि - विधान से की गई पूजा से मां दुर्गा की ये दस
महाविद्याएं साधक की विशेष रुप से कार्य सिद्धि प्रदान करती हैं और साधक
सफलतापूर्वक सिद्धि प्राप्त कर सकता है।
इस साल आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा गज यानी हाथी की
सवारी से आएंगी।
गज पर सवार होकर मां दुर्गा के आगमन से उत्तम वृष्टि के आसार होंगे।
गुप्त नवरात्रि की शुरुआत सर्वार्थ सिद्धि योग में हो रही है। पूजा की शुरुआत में
आर्द्रा नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग होने से उत्तम योग बन रहा है।
गुप्त नवरात्रि के दौरान साधक तांत्रिक और अघोरी मां दुर्गा की आधी रात में पूजा करते हैं इसमें स्नानादि करके घर में गुप्त स्थान पर मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित कर लाल रंग का सिंदूर और सुनहरे गोटे वाली चुनरी चढ़ाते हैं इसके बाद मां के चरणों में पूजा सामग्री के साथ - साथ लाल पुष्प चढ़ाना बेहद शुभ माना जाता है मां के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाकर 'ॐ दुं दुर्गायै नमः 'मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें उसके बाद आरती आदि करके पूजा समाप्त करें।
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