
श्री लक्ष्मी पंचमी 5 अप्रैल 2022 मंगलवार
श्री लक्ष्मी पंचमी का व्रत चतुर्थीविद्धा चैत्रशुक्ल पंचमी में किया जाता है। यदि पंचमी दो दिन विद्यमान हो तो पूर्व ( चतुर्थी ) विद्धा पंचमी में इसे करने का शास्त्रनिर्देश है।
'पंचमी शुक्लपक्षे – कृष्णपक्षे कर्ममात्रेऽपि चतुर्थीविद्धा ग्राह्या'
इस वर्ष चैत्रशुक्ल पंचमी 5 अप्रैल 22 को चतुर्थीविद्धा है। अतएव यह पर्व व्रत इसी दिन होगा । परन्तु यह पर्व भारत के पूर्वी प्रदेशों में 6 अप्रैल को ही होगा। क्योंकि वहाँ सूर्यास्त 5 अप्रैल को 18 घं -16 मि . से पहिले हो जाएगा , जिससे वहाँ 5 को पंचमी चतुर्थीविद्धा नहीं होगी , क्योंकि वहाँ इसदिन यह तिथि सूर्यास्त से पहिले| त्रिमुहूर्त्तव्यापिनी नहीं रहेगी।
यहाँ पर इस बात का ध्यान रहना चाहिए कि कोई भी तिथि पूर्व तिथि से तभी विद्ध मानी जाती है जब उस दिन वह तिथि स्वयं भी सूर्यास्त से पहिले कम - से - कम त्रिमुहूर्त्तव्यापिनी हो अर्थात् पूर्वतिथि (चतुर्थी - वेधक तिथि) की समाप्ति और सूर्यास्त के मध्य समय का अन्तर वहाँ त्रिमुहूर्त्त से कम नहीं होना चाहिए।
तद्नुसार यहाँ यह ध्यान रखें कि इस वर्ष यह 'श्री (लक्ष्मी) पंचमी 'पर्व पंजाब , जम्मू, हरियाणा, हि.प्र., म.प्र., राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, उत्तराखण्ड आदि प्रदेशों में 5 अप्रैल को तथा पूर्वी उ.प्र., बंगाल, बिहार, असम, उड़ीसा आदि पूर्वी प्रदेशों में 6 अप्रैल, 22 ई. को मनाना होगा।
पुरुषार्थ - चिन्तामणि अनुसार भी स्कन्द व्रत के अतिरिक्त सभी व्रतों में पंचमी | चतुर्थीविद्धा ली जाए । यथा- "सा (पंचमी) च स्कन्दोपवासातिरिक्तोपवासे पूर्व (चतुर्थी) विद्धा ग्राह्या।।"





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