
वट सावित्री व्रत 29 मई 2022 ज्येष्ठ अमावस्या (शास्त्रीय निर्णय)
वटसावित्री व्रत के पालन में दो परम्पराएं (मत) प्रचलित हैं। स्कन्द और भविष्योत्तर पुराण के अनुसार यह व्रत ज्येष्ठ पूर्णिमा और निर्णयामृतादि अनुसार ज्ये. अमावस्या को किया जाता है। दोनों परम्पराओं में यह पूर्व (चतुर्दशी) विद्धा अमावस या पूर्णिमा के दिन किया जाता है।
“धर्मसिन्धु" अनुसार -
पूर्णिमास्यमावस्ये तु सावित्रीव्रतं विना परे ग्राह्ये।
कुलधर्मादौ पूर्वा गृह्यते , तत्र मूलं मृग्यम्।।
कुछ शास्त्रकारों का यह मत है कि चतुर्दशी यदि 18 घड़ी से अधिक हो तो परवर्त्ती, अमावस / पूर्णिमा तिथि को दूषित करती है। यथा - 'भूतोष्टादशनाड़ीभिः दूषयत्युत्तरां तिथिम्'। परन्तु यह नियम तभी स्वीकार्य होगा, जब किसी तिथि का पूर्वविद्धा वेध वर्जित हो । यहाँ तो सभी शास्त्रकारों ने ज्येष्ठ अमावस चतुर्दशी विद्धा ही ग्रहण करने के लिए कहा है। यद्यपि चतुर्दशी तिथि का त्रिमुहूर्त्त - व्यापिनी तथा अमावस का सूर्यास्त से पहिले त्रिमुहूर्त्त - व्यापिनी होना आवश्यक माना गया है शास्त्र वचनानुसार इस वर्ष ज्येष्ठ अमावस वाला वट सावित्री व्रत चतुर्दशीविद्धा।
निष्कर्ष :- वट सावित्री अमावस 29 मई 2022, रविवार को होगा जो शास्त्र सम्मत मान्य है। (क्योंकि अमावस इस दिन सूर्यास्त से पहिले त्रिमुहूर्त्त - व्यापिनी है।)





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