
नरक चतुर्दशी (रूप-चौदश) 12 नवम्बर 2023
कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी 'नरक चतुर्दशी' कहलाती है। दो विभिन्न मान्यताओं के अनुसार चन्द्रोदयव्यापिनी अथवा अरुणोदयव्यापिनी कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन 'नरक चतुर्दशी' मनाई जाती है। इस दिन सूर्योदय से पहले चन्द्रोदय होने या पर अथवा अरुणोदय से पूर्व प्रत्यूषकाल में स्नान करने से मनुष्य को यमलोक का दर्शन नहीं करना पड़ता। यद्यपि कार्तिक मास में तेल नहीं लगाना चाहिए, फिर भी इस तिथि अ विशेष को शरीर में तेल लगाकर (तैलाभ्यंग) स्नान करना चाहिए। जिस दिन अरुणोदय-काल या चन्द्रोदय के समय चतुर्दशी हो, उसी दिन तैलाभ्यंग करना चाहिए।
इस वर्ष 12 नवम्बर 2023 ई. को चन्द्रोदय - व्यापिनी एवं (पूर्व) अरुणोदयव्यापिनी
चतुर्दशी होने के
कारण इसीदिन नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी।
यह त्यौहार नरक
चौदस व नर्क चतुर्दशी के नाम से भी प्रसिद्ध है। मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण
चतुर्दशी के दिन प्रातःकाल तेल लगाकर अपामार्ग (चिचड़ी) की पत्तियाँ जल में डालकर
स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है। विधि-विधान से पूजा करने वाले व्यक्ति सभी
पापों से मुक्त हो स्वर्ग को प्राप्त करते हैं।
संध्या को दीपदान की प्रथा है जिसे यमराज के लिए किया जाता है। दीपावली को
एक दिन का पर्व कहना न्योचित नहीं होगा। इस पर्व का जो महत्व और महात्मय है उस
दृष्टि से भी यह बहुत महत्वपूर्ण पर्व व हिन्दुओं का त्यौहार है। यह पांच पर्वों
की श्रृंखला के मध्य में रहने वाला त्यौहार है जैसे मंत्री समुदाय के बीच राजा।
दीपावली से दो दिन पहले धन-त्रयोदशी (धनतेरस) फिर नरक चतुर्दशी (नरक चौदस) व छोटी
दीपावली फिर दीपावली और गोवर्धन पूजा व बलि प्रतिपदा, भ्रातृ-द्वितीया (भाईदूज)।
पौराणिक कथा है
कि इसी दिन कृष्ण ने एक दैत्य नरकासुर का संहार किया था। सूर्योदय से पूर्व उठकर,
स्नानादि से निपट कर यमराज का तर्पण करके तीन
अंजलि जल अर्पित करने का विधान है। संध्या के समय दीपक जलाए जाते हैं।
नरक चतुर्दशी कथा
रन्ति देव नामक एक पुण्यात्मा और धर्मात्मा राजा थे। उन्होंने अनजाने में भी कोई पाप नहीं किया था पर जब मृत्यु का समय आया तो उनके सामने यमदूत आ खड़े हुए। यमदूत को सामने देख राजा अचम्भित हुए और बोले मैंने तो कभी कोई पाप कर्म नहीं किया फिर आप लोग मुझे लेने क्यों आए हो क्योंकि आपके यहां आने का अर्थ है कि मुझे नर्क जाना होगा। आप मुझ पर कृपा करें और बताएं कि मेरे किस अपराध के कारण मुझे नरक जाना पड़ रहा है। पुण्यात्मा राजा की अनुनय भरी वाणी सुनकर यमदूत ने कहा हे राजन् एक बार आपके द्वार से एक भूखा ब्राह्मण लौट गया यह उसी पापकर्म का फल है। दूतों की इस प्रकार कहने पर राजा ने यमदूतों से कहा कि मैं आपसे विनती करता हूं कि मुझे वर्ष का और समय दे दे। यमदूतों ने राजा को एक वर्ष का समय दे दिया। राजा अपनी समस्या लेकर ऋषियों के पास पहुंचा और उन्हें सब वृतान्त कहकर उनसे पूछा कि कृपया इस पाप से मुक्ति का क्या उपाय है। ऋषि बोले हे राजन् आप कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत करें और ब्रह्मणों को भोजन करवा कर उनसे अनके प्रति हुए अपने अपराधों के लिए क्षमा याचना करें। राजा ने वैसा ही किया जैसा ऋषियों ने उन्हें बताया। इस प्रकार राजा पाप मुक्त हुए और उन्हें विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ। उस दिन से पाप और नर्क से मुक्ति हेतु भूलोक में कार्तिक चतुर्दशी के दिन का व्रत प्रचलित है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर तेल लगाकर और पानी में चिरचिरी के पत्ते डालकर उससे स्नान करने का बड़ा महात्मय है। स्नान के पश्चात विष्णु मंदिर और कृष्ण मंदिर में भगवान का दर्शन करना अत्यंत पुण्यदायक कहा गया है। इससे पाप कटता है और रूप सौन्दर्य की प्राप्ति होती है।
आचार्य दिनेश पाण्डेय (मुम्बई & उत्तराखण्ड)
👉 "पूजा पाठ, ग्रह अनुष्ठान, शादी विवाह, पार्थिव शिव पूजन, रुद्राभिषेक, ग्रह प्रवेश, वास्तु शांति, पितृदोष, कालसर्पदोष निवारण इत्यादि के लिए सम्पर्क करें वैदिक ब्राह्मण ज्योतिषाचार्य दिनेश पाण्डेय जी से मोबाइल नम्वर - +919410305042, +919411315042"
आपकी अमूल्य टिप्पणियों हमें उत्साह और ऊर्जा प्रदान करती हैं आपके विचारों और मार्गदर्शन का हम सदैव स्वागत करते हैं, कृपया एक टिप्पणी जरूर लिखें :-