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भौम प्रदोष व्रत 29 अक्टूबर 2024


भौम प्रदोष व्रत 29 अक्टूबर 2024

भौम प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक व्रत है, जो प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना के लिए किया जाता है और इसका उद्देश्य व्यक्ति को समस्त प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाकर जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति प्रदान करना होता है। भौम प्रदोष का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसे मंगलवार के दिन किया जाता है, जिसे 'भौम' कहा जाता है, जो मंगल ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। मंगल ग्रह को ज्योतिष में ऊर्जा, साहस, भूमि, और रक्त से संबंधित माना जाता है, इसलिए इस व्रत का पालन करने से मंगल दोषों का निवारण होता है और व्यक्ति के जीवन में स्थिरता आती है।

भौम प्रदोष व्रत का महत्व

भौम प्रदोष व्रत भगवान शिव और मंगल ग्रह दोनों की कृपा प्राप्त करने का एक माध्यम है। मंगलवार को प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलते हैं क्योंकि यह दिन मंगल ग्रह का होता है, और भगवान शिव के आशीर्वाद से मंगल से जुड़े दोष, जैसे भूमि से जुड़े विवाद, रक्त संबंधी बीमारियां, और ऊर्जा की कमी, समाप्त हो जाते हैं।

भगवान शिव को प्रदोष काल का स्वामी माना जाता है। यह वह समय होता है जब वे प्रसन्न अवस्था में होते हैं और भक्तों की आराधना को स्वीकार करते हैं। मान्यता है कि इस समय भगवान शिव का ध्यान करने और व्रत रखने से सभी प्रकार के पाप समाप्त हो जाते हैं, और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

व्रत विधि

भौम प्रदोष व्रत की पूजा विधि सरल लेकिन शास्त्रीय होती है। इस दिन व्रती को ब्रह्ममुहूर्त में जागकर स्नान करना चाहिए और भगवान शिव की पूजा-अर्चना का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद दिनभर व्रत रखना होता है, और दिन में एक समय भोजन किया जा सकता है, वह भी बिना नमक का। कुछ भक्त इस दिन निराहार रहते हैं, यानी कुछ भी नहीं खाते।

प्रदोष व्रत की पूजा का मुख्य समय प्रदोष काल में होता है, जो सूर्य अस्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद के बीच का समय को प्रदोष काल माना गया है इस समय पर भगवान शिव जी की पूजा आराधना करने से हर प्रकार की मनोकामना पूर्ण हो जाती है और असंभव कार्य भी प्रदोष व्रत करने से संभव हो जाते हैं।

भगवान शिव को बेलपत्र, जल और गंगाजल चढ़ाकर उनकी स्तुति की जाती है। "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप किया जाता है और शिव चालीसा या शिव पुराण का पाठ भी किया जा सकता है। इसके अलावा मंगल ग्रह से संबंधित मंत्रों का जाप भी किया जाता है ताकि जीवन में मंगल दोष समाप्त हो सकें।

भौम प्रदोष व्रत की कथाएं

हर व्रत के साथ एक धार्मिक कथा जुड़ी होती है, जो उस व्रत के महत्व को स्पष्ट करती है। भौम प्रदोष व्रत के साथ भी एक पौराणिक कथा जुड़ी है।

भौम प्रदोष व्रत की कथा:

प्राचीन समय की बात है, एक नगर में एक निर्धन ब्राह्मण रहता था। वह अपनी गरीबी से बहुत दुखी था और भगवान शिव की उपासना करता था। एक दिन उसे सपने में भगवान शिव के दर्शन हुए, जिन्होंने उसे भौम प्रदोष व्रत करने का निर्देश दिया। ब्राह्मण ने भगवान शिव के आदेश का पालन करते हुए भौम प्रदोष व्रत किया। कुछ ही समय बाद उसकी स्थिति में सुधार हुआ और उसे धन, संतान और समृद्धि की प्राप्ति हुई।

इस प्रकार, भौम प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और वह जीवन के समस्त कष्टों से मुक्त हो जाता है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है जो भूमि, संतान, स्वास्थ्य और आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे होते हैं।

ज्योतिषीय महत्व

मंगल ग्रह का हिंदू ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इसे ऊर्जा, साहस, युद्ध, भूमि और पुरुषत्व का कारक माना जाता है। जिन लोगों की कुंडली में मंगल ग्रह अशुभ स्थिति में होता है, उन्हें जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। विशेष रूप से भूमि से जुड़े विवाद, स्वास्थ्य समस्याएं (विशेषकर रक्त संबंधी बीमारियां), और रिश्तों में कठिनाइयां उत्पन्न हो सकती हैं।

भौम प्रदोष व्रत करने से मंगल दोष के कारण उत्पन्न सभी प्रकार की समस्याओं का निवारण होता है। यह व्रत न केवल शारीरिक और मानसिक शांति प्रदान करता है, बल्कि इसे करने से ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। जो लोग कुंडली में मंगल दोष से परेशान होते हैं, उन्हें विशेष रूप से इस व्रत का पालन करना चाहिए।

भौम प्रदोष व्रत के लाभ

भौम प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं:

  1. मंगल दोष का निवारण: इस व्रत को करने से मंगल ग्रह से संबंधित सभी प्रकार की समस्याओं का निवारण होता है।
  2. स्वास्थ्य में सुधार: यह व्रत करने से रक्त संबंधी बीमारियों और ऊर्जा की कमी जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
  3. समृद्धि की प्राप्ति: इस व्रत से आर्थिक समृद्धि और भूमि संबंधी विवादों का समाधान होता है।
  4. सुखी पारिवारिक जीवन: भौम प्रदोष व्रत करने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और संतान प्राप्ति की इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
  5. मोक्ष की प्राप्ति: भगवान शिव की कृपा से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

निष्कर्ष

भौम प्रदोष व्रत एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक व्रत है, जिसे भगवान शिव की कृपा और मंगल ग्रह के दोषों को शांत करने के लिए रखा जाता है। यह व्रत न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी इसे अत्यंत फलदायी माना गया है। व्यक्ति को इस व्रत का पालन सच्ची श्रद्धा और भक्ति के साथ करना चाहिए, जिससे उसे भगवान शिव की अनंत कृपा प्राप्त हो सके।

 आचार्य दिनेश पाण्डेय शास्त्री (मुम्बई & उत्तराखण्ड)


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