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हनुमान जी का जन्म उत्सव 12 अप्रैल 2025

 

हनुमान जी का जन्म उत्सव – 12 अप्रैल  2025

भारतीय संस्कृति में भगवान हनुमान जी को शक्ति, भक्ति, और सेवा का प्रतीक माना जाता है। उन्हें पवनपुत्र, अंजनी पुत्र, संकटमोचन और बजरंगबली जैसे कई नामों से जाना जाता है। उनका जन्म उत्सव प्रतिवर्ष चैत्र माह की पूर्णिमा को बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व भारत के विभिन्न भागों में भिन्न-भिन्न रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है, परंतु सभी स्थानों पर इसकी मूल भावना भक्ति, सेवा और शक्ति की होती है। हनुमान जयंती का यह पावन दिन उनके भक्तों के लिए आत्मशुद्धि, साधना और आध्यात्मिक उन्नति का अवसर होता है।


हनुमान जी का जन्म
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जी का जन्म माता अंजनी और केसरी के पुत्र रूप में हुआ था। वे वानर जाति के थे और भगवान शिव के 11वें रूद्र अवतार माने जाते हैं। उनकी माता अंजनी एक अप्सरा थीं जो एक श्राप के कारण पृथ्वी पर जन्मी थीं। जब वे तपस्या में लीन थीं, तभी पवन देव ने भगवान शिव के आशीर्वाद से उनके गर्भ में हनुमान जी को स्थापित किया। इस कारण से हनुमान जी को "पवनपुत्र" भी कहा जाता है।


हनुमान जी के जीवन के प्रमुख पहलू
हनुमान जी का जीवन रामभक्ति, शक्ति और सेवा का प्रतीक है। उन्होंने रामायण में भगवान राम की सेवा में अपने प्राण तक न्योछावर कर दिए। उनका समर्पण इतना महान था कि वे भगवान राम के सबसे प्रिय सेवक और भक्त बन गए। उनकी निष्ठा, साहस, बुद्धि, और बल आज भी लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। रामायण, सुंदरकांड, और हनुमान चालीसा जैसे ग्रंथों में उनके महान कार्यों और गुणों का वर्णन मिलता है।


हनुमान जयंती का महत्व
हनुमान जयंती केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह आत्मचिंतन, आत्मबल और भक्ति की शक्ति का उत्सव भी है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य यह है कि हम हनुमान जी के गुणों को अपने जीवन में उतारें और अपने कर्मों से समाज और देश के लिए प्रेरणा बनें। यह पर्व विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण होता है जो जीवन में बाधाओं और कठिनाइयों से जूझ रहे होते हैं, क्योंकि हनुमान जी को संकटमोचन माना जाता है।


हनुमान जयंती की तैयारी और आयोजन
हनुमान जयंती से कई दिन पहले ही मंदिरों में विशेष सफाई और सजावट की जाती है। लोग अपने घरों को भी साफ कर, पूजा स्थल को सजाते हैं। कई स्थानों पर भजन-कीर्तन, रामायण पाठ और सुंदरकांड का आयोजन किया जाता है। मंदिरों में हनुमान चालीसा और हनुमानाष्टक का पाठ होता है। भक्त उपवास रखते हैं और हनुमान जी की प्रतिमा पर सिंदूर, चोला और चमेली का तेल चढ़ाते हैं।

हनुमान जी को विशेष रूप से लाल वस्त्र, फूल और प्रसाद चढ़ाया जाता है। प्रसाद में बूंदी के लड्डू, चने और गुड़ का विशेष महत्व होता है।

भक्तों की आस्था और श्रद्धा
हनुमान जयंती पर भक्तों में विशेष ऊर्जा और आस्था देखी जाती है। इस दिन लोग ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करते हैं, व्रत रखते हैं और हनुमान मंदिरों में दर्शन के लिए जाते हैं। कई स्थानों पर भव्य शोभा यात्राओं का आयोजन भी होता है जिसमें भक्त हनुमान जी की प्रतिमाओं को झांकियों के रूप में सजाकर नगर में भ्रमण करते हैं।

भजन मंडलियों द्वारा “जय बजरंगबली”, “जय श्रीराम” और “हनुमान चालीसा” का सामूहिक पाठ किया जाता है जिससे वातावरण भक्तिमय और ऊर्जावान हो जाता है।


 आचार्य दिनेश पाण्डेय शास्त्री (मुम्बई & उत्तराखण्ड)


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